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Wednesday, July 30, 2025
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फ्लैट खरीदने से पहले बिल्डर से जरूर पूछें ये जानकारियां, वरना हो सकता है नुकसान

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पटना से जितेन्द्र कुमार सिन्हा|

फ्लैट खरीदने में किस जानकारी का रखें ध्यान?

रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए सबसे जरूरी है सही जानकारी। एक बड़ा, सुन्दर और किफायती घर खरीदना सपना जरूर है, लेकिन सही समझ नहीं होने पर आप ठगे भी जा सकते हैं। खासकर फ्लैट खरीदते समय बिल्डर जो स्क्वायर फीट बताते हैं, उसमें बहुत फर्क हो सकता है। बेहतर सौदे के लिए आपको बिल्ट-अप, सुपर बिल्ट-अप और कार्पेट एरिया का सही मतलब समझना बेहद जरूरी है।

लेखक, जितेन्द्र कुमार सिन्हा, सूचना एवं जनसंपर्क के पूर्व पदाधिकारी हैं।

1. फ्लैट के तीन क्षेत्र: क्या फर्क है?

कार्पेट एरिया: रहने लायक असली जगह

कार्पेट एरिया वह स्थान है, जिस पर आप वास्तव में रह सकते हैं या कालीन बिछा सकते हैं। इसमें केवल कमरे, रसोई, बाथरूम, स्टोर आदि आते हैं, लेकिन दीवारें शामिल नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, 1000 स्क्वायर फीट कार्पेट एरिया का मतलब है कि इतने क्षेत्र में आप उपयोग कर सकते हैं।

बिल्ट-अप एरिया: दीवारें और बालकनी भी शामिल

बिल्ट-अप एरिया में कार्पेट एरिया के साथ-साथ फ्लैट की दीवारें, बालकनी और यूटिलिटी एरिया भी जुड़ते हैं। आम तौर पर बिल्ट-अप एरिया, कार्पेट से 10-20% ज्यादा होता है।

सुपर बिल्ट-अप एरिया: साझा सुविधाएं भी इसमें शामिल

सुपर बिल्ट-अप एरिया सबसे ज्यादा भ्रम पैदा करता है। इसमें बिल्डिंग के कॉमन एरिया—जैसे लॉबी, लिफ्ट, सीढ़ियां, क्लब हाउस, पार्किंग, गार्डन, स्विमिंग पूल आदि—का एक हिस्सा भी जोड़ दिया जाता है। यह कार्पेट एरिया से 25%-40% तक ज्यादा हो सकता है।

2. क्यों जरूरी है सही जानकारी?

अक्सर बिल्डर फ्लैट की कीमत सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर बताते हैं, जिससे ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं। अगर दो प्रोजेक्ट में फ्लैट आकार में समान दिखें, लेकिन किसी एक का कार्पेट एरिया कम हो तो आपको अपेक्षा से कम जगह मिलेगी, बावजूद इसके कि आपने उतना ही पैसा खर्च किया है।

3. कौन-कौन से सवाल बिल्डर से जरूर पूछें?

  • फ्लैट का कार्पेट एरिया कितना है?
  • बिल्ट-अप और सुपर बिल्ट-अप एरिया कितना है?
  • साझा सुविधाओं में कितना प्रतिशत जोड़ा गया?
  • RERA द्वारा प्रमाणित एरिया ब्रेकअप मांगें।
  • क्या पार्किंग कुल स्क्वायर फीट में शामिल है?

4. RERA के नियम और लोगों के अनुभव

RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) ने बिल्डरों को कार्पेट एरिया के आधार पर दाम तय करना अनिवार्य किया है, लेकिन कई जगह अभी भ्रम कायम है। इसलिए खुद ग्राहक को जागरूक रहना होगा।

5. शहरों की स्थिति और समझदारी से खरीददारी

दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे बड़े शहरों में 2 बीएचके फ्लैट की कीमतें 1.2 करोड़ से शुरू होती हैं, जिनमें सुपर बिल्ट-अप एरिया बहुत कम रह सकता है।

बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं, लेकिन ध्यान रखें कि विज्ञापित एरिया में कितना असली (कार्पेट) जगह आपको मिलेगी।

6. खास सुझाव

  • फ्लैट खरीदते समय कार्पेट एरिया ही तुलना का आधार बनाएं।
  • बिल्डर से फ्लैट का नक्शा और एरिया ब्रेकअप जरूर मांगें।
  • किसी प्रोजेक्ट में कॉमन एरिया बहुत ज्यादा न हो, इस पर ध्यान दें।
  • RERA रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट चुनें और उसकी RERA आईडी जरूर जांचें।
  • बजट और जरूरत के हिसाब से समझदारी से फैसला लें।
  • रीसेल प्रॉपर्टी में आमतौर पर कार्पेट एरिया ज्यादा और सुपर बिल्ट-अप कम होता है, इस विकल्प पर भी विचार करें।

निष्कर्ष:
फ्लैट खरीदना बड़ा फैसला है। कम कार्पेट एरिया में ज्यादा दाम न चुकाएं। हर जानकारी खुद जांचें, पारदर्शिता बरतें और समझदारी से सौदा करें, तभी घर का सपना सुरक्षित हकीकत बनेगा।

Patna| Be sure to ask the builder these details before buying a flat, or you might face losses.

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