बीरगंज। अनिल कुमार।
नेपाल के महत्वपूर्ण पर्व दशहरा का सातवां दिन फूलपाती उत्सव सोमवार को बीरगंज स्थित ऐतिहासिक गहवा माई मंदिर परिसर में परंपरागत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया।
फूलपाती का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को घटस्थापना के साथ दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है। सप्तमी के दिन घरों और मंदिरों में फूलपाती लाने की परंपरा निभाई जाती है। वैदिक परंपरा में इसे शुभता और शक्ति का प्रतीक माना गया है। पूजा स्थलों पर घट, कलश और जमारा के पास गन्ना, हल्दी, केले का पौधा, चावल की बालियां, बेलपत्र, अनार, जयंती, अशोक पुष्प और अन्य पत्ते रखकर नौ देवियों की शक्ति स्वरूप पूजा की जाती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. पुरुषोत्तम दुबे के अनुसार फूलपाती लाने के लिए किसी विशेष स्थल पर जाने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि इसका उद्देश्य नौ देवियों की शक्ति की आराधना करना है।
बीरगंज का ऐतिहासिक स्वरूप और परंपरा
बीरगंज में फूलपाती का ऐतिहासिक संबंध छपकैया स्थित भू-राजस्व कार्यालय के दशईंघर से जुड़ा है। यहां से नेपाली सेना विशेष परंपरा और सम्मान के साथ फूलपाती लेकर गहवा माई मंदिर तक पहुंचाती है। यह रीति सदियों से निभाई जा रही है और आज भी वही श्रद्धा और गरिमा कायम है।
सोमवार को हुई इस यात्रा में बीरगंज महानगरपालिका के मेयर राजेशमान सिंह, परसा के मुख्य जिला अधिकारी तोयनारायण सुबेदी, परसा के पुलिस अधीक्षक सुदीपराज पाठक सहित स्थानीय प्रशासन और सुरक्षाबलों के अधिकारी शामिल रहे।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ और भक्ति भाव
गहवा माई मंदिर परिसर में फूलपाती यात्रा पहुंचने पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए और माता दुर्गा की आराधना में लीन रहे। पूरा वातावरण भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से गुंजायमान हो उठा।
आज होगी पशु और पक्षियों की बलि
हर वर्ष की तरह इस बार भी मंगलवार को गहवा माई मंदिर परिसर में भक्तगण पशु और पक्षियों की बलि देंगे। इसे दशहरा उत्सव की धार्मिक परंपरा का अभिन्न अंग माना जाता है।
दशहरा पर्व की देशव्यापी रौनक
फूलपाती पर्व के साथ ही नेपाल भर के सरकारी कार्यालयों में सोमवार से छुट्टियां शुरू हो गईं। बीरगंज सहित अन्य शहरों से लोग अपने पैतृक गांव लौटने लगे हैं। गांवों में पारंपरिक झूले, लिंगे पिंग और रोटे पिंग सजाए गए हैं, जिनसे पर्व की रौनक और बढ़ गई है।
आस्था और उल्लास का अद्भुत संगम
फूलपाती पर्व ने धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उल्लास का अनोखा संगम प्रस्तुत किया। घटस्थापना से शुरू हुआ दुर्गा पूजा का अनुष्ठान सप्तमी के फूलपाती उत्सव के बाद नई ऊर्जा और श्रद्धाभाव से आगे बढ़ा और पूरे क्षेत्र का वातावरण देवी मां की भक्ति से आच्छादित हो गया।
Phulpati Festival Celebrated at Gahava Mai temple in Birgunj with Traditional Faith and Enthusiasm
Motihari Raxaul Phulpati Festival Celebrated Gahava Mai temple Birgunj with Traditional Faith and Enthusiasm
Sources
Sources