जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 06 सितम्बर
एथ्नोलॉग की ताज़ा रिपोर्ट (2025) के अनुसार अंग्रेज़ी (1.5 अरब वक्ता) और मैंडरिन चीनी (1.2 अरब वक्ता) के बाद, हिन्दी 609.1 मिलियन वक्ताओं के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा बन गयी है।

भाषा: सभ्यता की धरोहर-
भाषा केवल विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का साधन ही नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और पहचान की आधारशिला भी है। विश्व में हजारों भाषाएँ प्रचलित हैं, लेकिन वक्ताओं की संख्या और प्रभाव के आधार पर कुछ भाषाएँ वैश्विक स्तर पर विशेष महत्व रखती हैं।
एथ्नोलॉग रिपोर्ट 2025: हिन्दी का वैश्विक स्थान-
एथ्नोलॉग की ताज़ा रिपोर्ट (2025) के अनुसार अंग्रेज़ी (1.5 अरब वक्ता) और मैंडरिन चीनी (1.2 अरब वक्ता) के बाद, हिन्दी 609.1 मिलियन वक्ताओं के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा बन गयी है। यह उपलब्धि हिन्दी की व्यापकता और जीवंतता का प्रमाण है, जो इसे दक्षिण एशिया से लेकर विभिन्न महाद्वीपों तक पहचान दिला रही है।
हिन्दी का ऐतिहासिक विकास-
- संस्कृत से उद्भव: अपभ्रंश और प्राकृत भाषाओं से गुजरते हुए हिन्दी ने 7वीं से 10वीं शताब्दी में स्वरूप ग्रहण किया।
- मध्यकालीन स्वर्ण युग: भक्तिकाल और रीतिकाल में कबीर, तुलसी, सूर और मीरा ने हिन्दी को जन भाषा बनाया।
- आधुनिक काल: स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतेन्दु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद और महादेवी वर्मा जैसे रचनाकारों ने इसे संघर्ष और संवेदनाओं की आवाज़ दी।
- स्वतंत्रता के बाद: हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला और धीरे-धीरे यह अंतरराष्ट्रीय पहचान तक पहुँची।
विश्व में हिन्दी का विस्तार-
- भारत: उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली और हरियाणा जैसे हिंदीभाषी राज्य।
- दक्षिण एशिया: नेपाल में बड़ी संख्या में हिन्दी बोलने वाले लोग।
- प्रवासी समाज: मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद-टोबैगो, सूरीनाम, खाड़ी देश और पश्चिमी दुनिया में हिन्दी व्यापक रूप से बोली और पढ़ाई जाती है।
- प्रवासी भारतीय समुदाय ने इसे न सिर्फ जीवित रखा, बल्कि नए रूप भी दिए। फिजी हिन्दी इसका उदाहरण है।
शीर्ष दस भाषाएँ (2025)
- अंग्रेज़ी – 1.5 अरब
- मैंडरिन चीनी – 1.2 अरब
- हिन्दी – 609.1 मिलियन
- स्पेनिश – 558.5 मिलियन
- अरबी – 334.8 मिलियन
- फ्रेंच – 311.9 मिलियन
- बांग्ला – 284.3 मिलियन
- पुर्तगाली – 266.6 मिलियन
- रूसी – 253.4 मिलियन
- बहासा इंडोनेशिया – 252.4 मिलियन
साहित्य और सांस्कृतिक योगदान-
हिन्दी साहित्य ने सदियों से समृद्ध परंपरा कायम रखी है।
- भक्तिकाल: तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’, सूरदास के पद, कबीर के दोहे, मीरा के भजन।
- आधुनिक साहित्य: प्रेमचंद की रचनाएँ, महादेवी वर्मा और निराला की कविताएँ।
- समकालीन साहित्य: निर्मल वर्मा, उदय प्रकाश और मन्नू भंडारी की कृतियाँ।
सिनेमा और लोकप्रियता-
बॉलीवुड ने हिन्दी को दुनिया तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभायी।
- राजकपूर की फिल्में रूस तक पहुँचीं।
- शाहरुख, आमिर और सलमान खान ने अरब देशों और यूरोप में लोकप्रियता दिलाई।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हिन्दी सामग्री ने वैश्विक दर्शकों के बीच नई पहचान बनाई।
हिन्दी और इंटरनेट-
आज हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंटरनेट भाषा है।
- यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर हिन्दी कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है।
- हिन्दी समाचार पोर्टल और डिजिटल मीडिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हैं।
- गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियाँ हिन्दी आधारित सेवाओं में निवेश कर रही हैं।
आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति के रूप में हिन्दी-
हिन्दी केवल सांस्कृतिक साधन नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति भी है।
- हिन्दी सिनेमा और संगीत वैश्विक बाजार में अरबों डॉलर तक का कारोबार करते हैं।
- स्टार्टअप इकोनॉमी में हिन्दी-आधारित ऐप्स तेजी से उभर रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारतीय नेताओं द्वारा हिन्दी में भाषण देना इसकी कूटनीतिक शक्ति को दर्शाता है।
चुनौतियाँ और भविष्य-
हिन्दी के सामने अंग्रेज़ी का प्रभुत्व और भारत के भीतर भाषाई राजनीति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। फिर भी, डिजिटल युग, शिक्षा और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रसार के कारण हिन्दी का भविष्य और अधिक मजबूत होने वाला है।
निष्कर्ष-
609.1 मिलियन वक्ताओं के साथ हिन्दी ने आज अपने आप को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा के रूप में स्थापित कर लिया है। यह केवल भारत की पहचान नहीं बल्कि वैश्विक सॉफ्ट पावर बन चुकी है, जो भारत को बाकी दुनिया से जोड़ती है।
Hindi, the Carrier of Our Civilization, Becomes the World’s Third Largest Language
Photo Curtesy- Central Hindi Directorate