बीजापुर, 29 जुलाई (SHABD):
आत्मसमर्पण से बदली नक्सलियों की तस्वीर-
कभी जंगलों में आतंक का पर्याय रहे नक्सली अब मुख्यधारा में लौटकर विकास के नए रास्ते तलाश रहे हैं। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में आत्मसमर्पित नक्सली सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर स्वयं का और अपने समाज का भविष्य संवारने में जुटे हैं। अब बंदूक छोड़, ये लोग कड़ी मेहनत से समाज में विश्वास और विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।
सरकार का अभियान—विश्वास बहाली और पुनर्वास
नक्सल समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सख्त कदम उठाए हैं। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से चल रहे एंटी नक्सल अभियान के परिणामस्वरूप बस्तर जैसे इलाके आज अमन-शांति की ओर बढ़ रहे हैं।
मुख्यधारा से भटके युवाओं को छत्तीसगढ़ सरकार ने विशेष पुनर्वास नीति के तहत जागरूक करना शुरू किया है। जिला प्रशासन के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पहले कुछ दिन पुलिस लाइन में रखा जाता है, फिर पुनर्वास केंद्र में आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है।
पुनर्वास नीति: कौशल विकास से नया जीवन-
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार द्वारा कई प्रकार के रोजगार-कौशल विकास कार्यक्रम उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इनमें भवन निर्माण के लिए राजमिस्त्री, ट्रैक्टर और जेसीबी ड्राइवर, तथा महिलाओं के लिए सिलाई व गारमेंट फैक्ट्री में प्रशिक्षण देने की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इससे इन्हें नये जीवन की दिशा और आर्थिक आत्मनिर्भरता मिल रही है।
मुख्य बिंदु:
• राजमिस्त्री प्रशिक्षण: गांव के निर्माण कार्यों के लिए।
• जेसीबी/ट्रैक्टर ड्राइविंग: आधुनिक खेती व निर्माण के क्षेत्र में रोजगार।
• महिला सशक्तिकरण: सिलाई और गारमेंट फैक्ट्री में काम।
इन प्रशिक्षणों के दौरान प्रतिदिन दो घंटे शिक्षा भी दी जाती है, जिससे इन्हें शिक्षा का महत्व भी समझ आ रहा है।
हिंसा से विकास की ओर—नया सवेरा-
कभी जिनके हाथों में बंदूक और गोला-बारूद थे, आज वे समाज के पुनर्निर्माण में अपनी मेहनत और हुनर से योगदान दे रहे हैं। बस्तर के संवेदनशील गांवों में प्रशासन द्वारा कैंप तैनात किए जा चुके हैं, प्रधानमंत्री आवास, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
उनका कहना है कि अब हिंसा के बजाय विश्वास और विकास का रास्ता अपनाने से वे काफी खुश हैं। एक आत्मसमर्पित नक्सली ने कहा —
“सरकार ने हमें नई जिंदगी दी है, अब हम समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।”
प्रशासन का भरोसा, समाज का साथ-
बीजापुर के कलेक्टर संबित मिश्रा और संतोष कुमार (पुलिस) का कहना है कि पुनर्वास नीति के चलते नक्सल प्रभावित इलाके बदल रहे हैं। बस्तर क्षेत्र की दशा सकारात्मक दिशा में अग्रसर हो रही है।
कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा—
“हम पुनर्वास नीति के जरिए आत्मसमर्पित नक्सलियों को न केवल सुरक्षा दे रहे हैं, बल्कि उन्हें योग्य शिक्षा और कौशल देकर समाज में सम्मिलित कर रहे हैं।”
निष्कर्ष: विश्वास की लौ से जगा नया बस्तर
अतीत के साए में जी रहे लोगों को अब उज्जवल भविष्य की आस दिख रही है। सरकार, प्रशासन और समाज के सहयोग से बीजापुर का हर शख्स, हर गांव अब विकास और शांति की मिसाल बन रहा है। बंदूक छोड़ आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली अब अपने हाथों से नई इबारत लिखने की राह पर हैं—यह नए बस्तर की शुरुआत है।
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