बेतिया| पश्चिम चंपारण | अवधेश कुमार शर्मा|
नरकटियागंज| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने हिन्दू उत्कर्ष दिवस के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस (ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी) को पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया। यह कार्यक्रम नरकटियागंज के पोखरा चौक स्थित संघ स्थल पर आयोजित किया गया।
इस दिवस को वक्ताओं ने भारतीय इतिहास में स्वाभिमान, साहस और आत्मगौरव का प्रतीक बताया। कहा कि आज के युवाओं को शिवाजी महाराज की जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिए।
शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस को क्यों मनाया जाता है
हर वर्ष इस दिन को हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यही वह दिन है जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था। भारतीय मानते हैं कि यह दिन भारतीय इतिहास में स्वाभिमान, साहस और आत्मगौरव का प्रतीक है।
युवाओं को शिवाजी महाराज के जीवन से सीखने की जरूरत
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि आज के युवाओं को शिवाजी महाराज की जीवनी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों से बहादुरी से लोहा लिया और हिंदू साम्राज्य को अक्षुण्ण बनाए रखा। वे सच्चे देशभक्त, कुशल रणनीतिकार और साहसी योद्धा थे।
इतिहास की सही जानकारी जरूरी-
आज के समय में बहुत से लोगों को हिन्दू साम्राज्य दिवस और शिवाजी महाराज के योगदान की पूरी जानकारी नहीं है। इसलिए इस तरह के आयोजन जरूरी हैं ताकि युवाओं और आम जनता को भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ा जा सके।
हिन्दू उत्कर्ष का प्रतीक शिवाजी महाराज
भारत में माना जाता है कि शिवाजी महाराज ने केवल एक राज्य नहीं, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सनातन धर्म और संस्कृति के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त किया। उनके राज्याभिषेक को भारत के एक नए युग की शुरुआत माना जाता है।
संघ कार्यकर्ताओं की भागीदारी
कार्यक्रम में नगर संघ चालक राकेश, सह जिला संपर्क प्रमुख आशीष सहित रमाशंकर, अनील, अजय, नीतेश, मनीष, मोहित, विनोद, मोहन, सुरेंद्र मोहन, रौनक, सूरज, राजेश, आकाश और आर्यन जैसे कई स्वयंसेवकों ने भाग लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम छत्रपति शिवाजी महाराज के महान योगदान को याद करने और समाज को उनके आदर्शों से जोड़ने का एक प्रयास था।
Bettiah | Chhatrapati Shivaji Maharaj’s “Coronation Day” is a symbol of self-respect, courage, and national pride in Indian history.