मोतिहारी। महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग में शोधार्थी मनीष कुमार, सुजॉय कुंदु की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा का आयोजन किया गया। शोधार्थी मनीष कुमार की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा में बाह्य परीक्षक के रूप में प्रो. धनंजय यादव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश ऑनलाइन शामिल हुए एवं सुजॉय कुंदु की पीएचडी की खुली मौखिकी परीक्षा में बाह्य परीक्षक के रूप में प्रो. अमित कुमार जयसवाल, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, उत्तराखंड शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार के स्वागत वक्तव्य से हुई। शोधार्थी मनीष कुमार ने अपने शोध शीर्षक “शिक्षा में देखभाल के बदलते स्वरूप का नेल नोडिंग्स के दर्शन के विशेष सन्दर्भ में” अध्ययन को प्रस्तुत किया। उन्होंने यह शोध कार्य डॉ. रश्मि श्रीवास्तव, सहायक आचार्य, शैक्षिक अध्ययन विभाग के निर्देशन में पूर्ण किया है। शोधार्थी ने शोध को पूर्ण करने हेतु प्रयागराज के सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों एवं छात्रों के शोध उद्देश्य से सम्बंधित जीवंत अनुभवों को जानने हेतु साक्षात्कार और सम्बंधित अभिलेखों के बारे में बताया।
शोधार्थी ने शोध निष्कर्ष को साझा करते हुए बताया कि शिक्षा में तकनीकी के ऊपर बढ़ती निर्भरता के परिणामस्वरूप छात्र-शिक्षक के मध्य भावनात्मक संबंधों में कमी आ रही है, जिसके कारण छात्रों के प्रति शिक्षकों के द्वारा किये जाने वाले देखभाल के प्रयास प्रभावित हो रहे हैं। शोध से यह भी पता चला है कि छात्र उस शिक्षक से भावनात्मक रूप से जल्दी जुड़ते हैं जो शिक्षक अपने छात्रों को उनके नाम से संबोधित करते हैं, उनकी तरफ देखकर पढ़ाते हैं एवं कक्षा में छात्रों की बातों को महत्व देते हैं। खुली मौखिकी परीक्षा के उपरांत बाह्य परीक्षक प्रो. धनंजय यादव ने अपने शोध एवं शिक्षण अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हमें इस प्रकार नवीन शोध कार्यों को भारतीय दर्शन से जोड़कर भी अध्ययन करने की आवश्यकता है।
शोधार्थी सुजॉय कुंदु ने अपना शोधकार्य “पश्चिम बंगाल में उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण और सीखने की मिश्रित पद्धति पर सामाजिक संरचना: एक महत्वपूर्ण अध्ययन” शैक्षिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष सह-आचार्य डॉ. मुकेश कुमार के निर्देशन में पूर्ण किया। सुजॉय कुंदु ने शोध निष्कर्ष के रूप में बताया कि सीखने के लिए प्रयुक्त मिश्रित पद्धति रूपरेखा (फ्रेमवर्क) का सही रूप में प्रयोग करके हम इसे प्रभावी बना सकते हैं।
सुजॉय कुंदु के प्रस्तुतीकरण के पश्चात् बाह्य परीक्षक के रूप में आये विद्वान प्रो. अमित कुमार जयसवाल ने इस अध्ययन को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष नीति नियंताओं के लिए मददगार साबित होंगे।
कार्यक्रम का संचालन शोध छात्र देवव्रत यादव और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रश्मि श्रीवास्तव ने किया
इस अकादमिक कार्यक्रम में शैक्षिक अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश कुमार, कुलपति प्रतिनिधि कुलानुशासक प्रो. प्रसून दत्त सिंह, प्रो. सुनील महावर, डॉ. मनीषा रानी, डॉ. पाथलोथ ओमकार, डॉ. अरुण दूबे सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शोधार्थी व विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।