Raxaul|अनिल कुमार |
मुख्य मुद्दा: सीमा शुल्क एवं प्रशासन में मतभेद
वीरगंज स्थित नेपाल सीमा शुल्क कार्यालय और परसा जिला प्रशासन के बीच भारतीय वाहनों की नेपाल में प्रवेश प्रक्रिया को लेकर गहरा विवाद सामने आया है। मधेश प्रदेश सरकार ने हाल ही में सभी जिलों के प्रशासनिक कार्यालयों को निर्देश दिया था कि भारतीय पर्यटकों के नेपाल आने-जाने को सरल बनाया जाए, जिससे पर्यटन तथा व्यापार दोनों को बढ़ावा मिले। परसा प्रशासन ने इस निर्देश के तहत वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय में नई व्यवस्था लागू करने की कोशिश की, लेकिन सीमा शुल्क विभाग की असहमति के कारण यह व्यवस्था लागू नहीं हो पायी।
नई प्रणाली का प्रस्ताव: सरल जांच और स्टीकर व्यवस्था-
प्रस्तावित योजना के अनुसार, भारतीय दोपहिया और चारपहिया वाहन वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय की मुख्य सड़क से सीधे प्रवेश कर सकते थे। यहां नेपाल आर्म्ड पुलिस, स्थानीय पुलिस और सीमा शुल्क विभाग की संयुक्त जांच प्रक्रिया के उपरांत वाहन पर स्टीकर लगाया जाता, जिससे जिलों में पुन: जांच की आवश्यकता नहीं रहती। इस व्यवस्था से सीमा पर भीड़-भाड़ कम होने और प्रक्रिया के सरल होने की उम्मीद थी।
सीमा शुल्क विभाग का विरोध-
वीरगंज सीमा शुल्क कार्यालय प्रमुख प्रशासक दीपक लामिछाने ने प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया। उन्होंने वर्षों से चली आ रही पारंपरिक व्यवस्था में बदलाव से इनकार करते हुए जोर दिया कि भारतीय वाहनों को प्रत्येक दिन सीमा शुल्क कार्यालय में पंजीकरण एवं राजस्व भुगतान की प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य है, तभी नेपाल में प्रवेश दिया जाएगा। उनका तर्क है कि यह विभागीय जिम्मेदारी है और प्रशासन का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप स्वीकार योग्य नहीं है।
वर्तमान व्यवस्था-
अभी भारतीय वाहन शंकराचार्य गेट से यार्ड में प्रवेश करते हैं, वहां कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही वीरगंज में आ सकते हैं, जबकि वापसी मुख्य मार्ग से होती है। इस विवाद के चलते पर्यटकों को पुरानी, ज्यादा समय लेने वाली व्यवस्था से ही गुजरना पड़ रहा है।
व्यापारिक संगठनों की मांग-
वीरगंज उद्योग वाणिज्य संघ के उपाध्यक्ष माधव राजपाल का कहना है कि यदि नई व्यवस्था लागू होती है तो भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और होटल, पर्यटन, व्यवसाय पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने इसे सहज एवं विवाद-मुक्त व्यवस्था बताते हुए शीघ्र लागू किए जाने की मांग रखी[1]।
प्रशासन व विभाग के बीच तालमेल की कमी-
‘विजिट मधेश’ के संयोजक ओम प्रकाश सर्राफ ने कहा कि नीति लागू न होने का मुख्य कारण सीमा शुल्क विभाग और प्रशासन के बीच सामंजस्य की कमी है। लंबे समय के लिए समाधान की जरूरत है, वरना मधेश सरकार के निर्देश केवल कागजों तक ही रह जाएंगे।
नतीजा: पर्यटकों को अभी भी पुराने नियमों का पालन करना पड़ रहा है-
समूचे विवाद के चलते मधेश प्रदेश सरकार की पर्यटकों को राहत देने की मंशा फिलहाल पूरी नहीं हो रही है, और भारतीय वाहनों को नेपाल प्रवेश के लिए पुन: वही पारंपरिक लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है।
Motihari | Raxaul |Dispute Over Entry of Indian Vehicles into Nepal: Differences Between Customs and Administration