रक्सौल, अनिल कुमार।
नगर परिषद रक्सौल में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप फिर से सुर्खियों में आ गये हैं। पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव पर वित्तीय गड़बड़ी और अवैध नियुक्ति में संलिप्तता के आरोपों के बीच, हाल ही में पटना और लखनऊ स्थित उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की गयी।
अब रक्सौल में भी, उनके खिलाफ जॉंच की मॉंग तेज हो गयी है। उनके कार्यकाल की गंभीर अनियमितता व भष्टाचार उजागर हुए हैं।
नगर परिषद कार्यकाल में लगे गंभीर आरोप-
अनुभूति श्रीवास्तव के रक्सौल कार्यकाल के दौरान,
- अवैध बहाली (नियुक्तियाँ)
- नियमों की अनदेखी कर उपकरणों की खरीद-फरोख्त
- वित्तीय अनियमितताएँ
जैसे कई मामलों के सामने आने की बात कही जा रही है।
तत्कालीन सभापति पर कार्रवाई, अधिकारी अब भी बाहर
प्रारंभिक जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद, नगर विकास विभाग ने तत्कालीन सभापति धुरपति देवी को पद से हटा दिया। विभाग का मत है कि उन्होंने कार्यपालक पदाधिकारी के साथ मिलकर प्रशासनिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया।
हालाँकि, भ्रष्टाचार से जुड़े अधिकांश निर्णयों को लागू कराने वाले अधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव अब तक किसी कार्रवाई के दायरे में नहीं आये हैं, जिसके चलते पूरे मामले पर सवाल उठ रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की निष्पक्ष जांच की मांग
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता नुरुल्लाह खान ने नगर विकास विभाग, जिला प्रशासन और आर्थिक अपराध इकाई को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
उनका कहना है कि सिर्फ जनप्रतिनिधि पर कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है। असली जिम्मेदारी तो उन अधिकारियों की है जिन्होंने फाइलों को आगे बढ़ाया। उन्हें बचाना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने जैसा है।
जनता में आक्रोश और निगाहें प्रशासन पर
यह मुद्दा स्थानीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। नागरिकों का मानना है कि नगर परिषद में हुई कथित अवैध नियुक्ति और उपकरण क्रय घोटालों की गहराई से जांच जरूरी है ताकि दोषियों को बचाया न जा सके। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन और आर्थिक अपराध इकाई की आगामी कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
फोटो: आरोपों से घिरे पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव।
Motihari |Raxaul| Corruption Allegations in Raxaul Municipality, Demand for Probe Against Former Executive Officer Gains Momentum