शांतिनिकेतन, 27 अगस्त 2025
शांतिमिकेतन हिंदी विभाग द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम में कबीर गायन के लिए प्रसिद्ध और पद्मश्री सम्मान से अलंकृत लोकगायक प्रहलाद सिंह टिपानिया का उत्साहपूर्वक अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में कबीर की वाणी, संगीत और दर्शन की गूंज से पूरा परिसर भाव विभोर हो उठा।
शुभारंभ और स्वागत संबोधन-
कार्यक्रम का आरंभ विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाषचंद्र राय के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा कि कबीर की आलोचना पर आधारित रचना ने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी को ऐतिहासिक पहचान दिलाई थी और आज उस परंपरा को जीवित रखने वाले स्वर हमारे बीच उपस्थित हैं।
डॉ. राय ने टिप्पणी करते हुए कहा, “टिपानिया जी केवल सम्मानित लोकगायक ही नहीं, बल्कि ऐसे कलाकार हैं जिन्होंने कबीर के पदों को लोक से लोक तक पहुँचा कर उन्हें जीवंत कर दिया है।”
कबीर पदों का मधुर गायन-
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रहलाद सिंह टिपानिया ने कार्यक्रम स्थल को अपनी गायकी से रससिक्त कर दिया।
कबीर के कई अमर पदों के माध्यम से उन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर गायन के दौरान उन्होंने कहा,-
“कबीर सहजता, सरलता और कोमलता के प्रतीक हैं। इसी कारण उनके गीत हर हृदय को सीधे छूते हैं।”
व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश-
कार्यक्रम में डॉ. सुकेश लोहार ने टिपानिया जी के विशिष्ट योगदान का परिचय देते हुए कहा,
“टिपानिया जी कबीर के गहन दार्शनिक भावों को संगीत के माध्यम से सरल भाषा में जनता तक पहुँचाते हैं। वे कठिनतम विचारों को भी सहज बना देते हैं।”
धन्यवाद और समापन-
अंत में प्रो. मुक्तेश्वरनाथ तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने टिपानिया जी की लोकगायन परंपरा को वैश्विक मंच तक पहुँचाने की सराहना की और कहा,
“तंबूरा और कबीर की वाणी को उन्होंने जिस अनोखे अंदाज़ में प्रस्तुत किया है, वह कला, साहित्य, संगीत और दर्शन का सुंदर संगम है।”
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्जुन कुमार ने किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षकों—डॉ. मेरी हांसदा, डॉ. जगदीश भगत, डॉ. राहुल सिंह, पूजा खंडेलवाल, रितुपर्णा सहित बड़ी संख्या में छात्र, शोधार्थी और साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
Kolkata | Shantiniketan | Grand Welcome of Padma Shri Prahlad Singh Tipaniya in the Hindi Department, Campus Resonated with Kabir’s Verses
Sources