पटना (भागलपुर)| जितेन्द्र कुमार सिन्हा|
श्रद्धालुओं की सेवा में जुटी डॉक्टर अंजली सिन्हा और उनकी टीम
श्रावण मास में कांवड़ियों की भक्ति और सेवा के संगम की मिसाल–
श्रावण मास में हजारों श्रद्धालु “बोल बम” का जयघोष करते हुए कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं। उनकी थकान, चोट और बीमारियों का ध्यान रखते हुए “ह्यूमन राइट्स डिफेंडर” संगठन की ओर से पहलगांव (भागलपुर) में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाया गया।
डॉ. अंजली सिन्हा की अगुवाई में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन–
स्वास्थ्य शिविर का नेतृत्व डॉक्टर अंजली सिन्हा, जो संस्था की राष्ट्रीय स्वास्थ्य चिकित्सक पदाधिकारी हैं, ने किया। उनके साथ बिहार अध्यक्ष सुरज कुमार और अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद थे। टीम ने कांवड़ियों की जांच कर दवाइयां, प्राथमिक उपचार और जरूरी परामर्श दिया।
सैकड़ों भक्तों को मिला लाभ–
गर्मी और लंबी यात्रा के कारण कई कांवड़िये बीमार हो रहे थे। ऐसे में इस शिविर से उन्हें राहत मिली और वे यात्रा जारी रख सके। सेवा में इलाज के साथ सहानुभूति और सम्मान की भावना झलक रही थी।
मानवाधिकार का सही अर्थ – ज़मीन पर सेवा–
बिहार अध्यक्ष सुरज कुमार ने बताया कि “ह्यूमन राइट्स डिफेंडर” सिर्फ बात नहीं करता, बल्कि जमीन पर समाज की जरूरतें पूरी करता है। आने वाले समय में अन्य जिलों में भी ऐसे शिविर लगाए जाएंगे।
स्थानीय लोगों ने की पहल की सराहना–
पहलगांव जैसे धार्मिक स्थान पर इस तरह की सेवा से न सिर्फ कांवड़ियों को मदद मिली, बल्कि प्रशासन का भार भी कम हुआ। स्थानीय लोगों ने इस सेवा कार्य की जमकर तारीफ की।
भक्ति और सेवा का सशक्त उदाहरण–
डॉ. अंजली सिन्हा ने कहा कि “श्रावण मास सेवा और भक्ति का प्रतीक है। कांवड़ियों की सेवा कर हम खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।” यह स्वास्थ्य शिविर मानवता, सेवा और भक्ति का अनोखा मेल रहा।
निष्कर्ष:
जब समाज के लोग निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे की मदद करते हैं, तभी सच्चे मानवाधिकार का संरक्षण होता है और सामाजिक एकता मजबूत होती है।