Motihari | रक्सौल| अनिल कुमार|
साहित्य के क्षेत्र में रक्सौल का बढ़ता मान-
बिहार के चंपारण क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है कि रक्सौल के निवासी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. (प्रो.) स्वयंभू शलभ को ‘सत्याग्रह साहित्य सम्मान’ के लिए चुना गया है। यह प्रतिष्ठित अलंकरण उन्हें सत्याग्रह की ऐतिहासिक भूमि मोतिहारी में रविवार को आयोजित होने वाले एक विशेष समारोह में प्रदान किया गया।
ख्वाब फाउंडेशन के तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन 21 दिसंबर को डॉ. एसपी सिंह कॉलेज के सभागार में सुनिश्चित हुआ है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि फाउंडेशन द्वारा कर दी गयी है।
‘संस्कृति के सोपान’ के माध्यम से भारत दर्शन-
डॉ. शलभ की चर्चित कृति ‘संस्कृति के सोपान’ को इस सम्मान के लिए आधार बनाया गया है। अपनी इस पुस्तक के संदर्भ में चर्चा करते हुए डॉ. शलभ ने बताया कि भारत की विविधतापूर्ण कला, अनुपम प्राकृतिक वैभव और यहाँ की मिट्टी में रचे-बसे आध्यात्मिक चेतना को जाने बिना भारतीयता को समझना असंभव है। उनकी यह पुस्तक इन्हीं गहरे भावों को शब्दों के माध्यम से एक जीवंत चित्र की भांति प्रस्तुत करने का एक सार्थक प्रयास है।
साहित्यिक यात्रा और बच्चन जी का मार्गदर्शन-
हिंदी साहित्य जगत में डॉ. स्वयंभू शलभ का स्थान अत्यंत विशिष्ट रहा है। उन्हें महान साहित्यकार डॉ. हरिवंशराय बच्चन का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बच्चन जी ने अपने जीवनकाल में डॉ. शलभ को कुल 38 पत्र लिखे थे, जिन्हें आज हिंदी साहित्य की अनमोल थाती माना जाता है। डॉ. शलभ की अब तक कई महत्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘अनुभूति दंश’, ‘शृंखला के खंड’ और ‘कोई एक आशियाँ’ प्रमुख हैं। उनकी लेखनी की धमक न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी सुनी जाती है।
उपलब्धियों की शृंखला में एक और कड़ी-
यह महीना डॉ. शलभ के लिए विशेष उपलब्धियों भरा रहा है। हाल ही में बेतिया के रामलखन सिंह यादव कॉलेज में आयोजित एक समारोह के दौरान साहित्यिक संस्था ‘क्षितिज’ ने उनकी इसी कृति को सर्वश्रेष्ठ यात्रा वृतांत के रूप में चुना था और उन्हें ‘क्षितिज कृति सम्मान’ से नवाजा गया था। अब मोतिहारी में मिलने वाले इस नए सम्मान की घोषणा से साहित्य प्रेमियों और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है।
Motihari | Raxaul| Dr. Swayambhu Shalabh honoured with the prestigious ‘Satyagraha Sahitya Samman’ in Motihari today
A Moment of Pride for Literature in Motihari












