रांची। झारखंड विधानसभा ने गुरुवार को जीएसटी बिल को मंजूरी दे दी। इसके लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन किया गया था। प्रभारी मंत्री सीपी सिंह ने सदन में झारखंड माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 पेश किया। इस पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में आर्थिक क्षेत्र में यह एक क्रांतिकारी कदम है। पहले तरह-तरह के टैक्स लगते थे। राज्य में 11 तरह के टैक्स लगते थे। इसी तरह केन्द्र की ओर से 8 टैक्स लगाये जाते थे। लेकिन कर की नयी व्यवस्था जीएसटी लागू होने से एक देश, एक बाजार और एक कर की परिकल्पना फलीभूत होने जा रही है। उन्होंने विधेयक के प्रावधानों के बारे में बताया कि सलाना 20 लाख से कम टर्न ओवर वाले व्यापारियों को इसे मुक्त रखा गया है। ऐसे व्यापारियों को निबंधन कराने की जरूरत नहीं है। इस बीच हस्ताक्षेप करते हुए नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि इसके जरिये हम पूरी शक्ति केन्द्र को देने जा रहे हैं।
सोरेन ने कहा कि हम इस बिल के पारित होने की राह में कोई बाधा पहुंचाने नहीं जा रहे है। लेकिन हम चाहेंगे कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन वापस लाने का विधेयक भी लाया जाये। हम उसका समर्थन करेंगे। इस दौरान झामुमो के सदस्य अपने सीट पर खड़े होकर संशोधन वापस लाना होगा के नारे लगाने लगे। झामुमो के कुछ सदस्य बाद में वेल में भी आ गये। इस बीच स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि झामुमो के स्टीफन मरांडी ने विधेयक के मूल पाठ में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि वह अपना संशोधन पेश कर सकते हैं। लेकिन स्टीफन मरांडी इसके लिए नहीं उठे। इसपर स्पीकर ने उनके संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया। इसके बाद स्पीकर ने झारखंड माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 स्वीकृत करने की घोषणा की।
मंत्री सीपी सिंह ने सत्र के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विशेष सत्र में जीएसटी बिल सर्वसम्मति से पास किया गया है। झारखंड के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने के लिए पक्ष-विपक्ष के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की सोच का ही परिणाम है कि 10 साल से जिसके लिए प्रयास हो रहा था, उसे केन्द्र की मौजूदा सरकार ने संसद के दोनों सदनों से पारित कराया गया। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार जीएसटी लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। 55 हजार व्यवसायियों का निबंधन किया जा चुका है। निबंधन की प्रक्रिया अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि चूंकि यह नयी व्यवस्था शुरू होने जा रही है, इसलिए इससे जुड़े सभी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। इससे जुड़े सीए और वकीलों को भी प्रशिक्षण दिये जायेंगे। एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि इससे राज्य को राजस्व का नुकसान नहीं होगा। क्योंकि पहले सेवा कर में राज्यों को हिस्सेदारी नहीं मिलती थी, जो अब मिलेगा। वैसे भी इसके लागू होने से राज्य को होने वाले राजस्व के नुकसान की पांच वर्षों तक केन्द्र की ओर से भरपाई किये जाने का प्रावधान है।
गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों से जीएसटी से संबंधित विधेयकों के पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इन्हें कानून बनाने की मंजूरी दे दी है। केन्द्र सरकार एक जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू करना चाहती है। लेकिन इससे पहले कम से कम 15 राज्यों के विधानसभाओं की सहमति चाहिए। राज्य सरकार को भी राज्य में लगने वाले विभिन्न प्रकार के करों को समाप्त करना है और सेवा कर को इसके साथ जोड़ना है। इसी मकसद से विधानसभा का यह विशेष सत्र आयोजित किया गया था। जीएसटी लागू होने के बाद झारखंड मूल्य वर्द्धित कर (वैट) अधिनियम 2005, झारखंड होटल विलास वस्तु कराधान अधिनियम 2011, स्थानीय वस्तुओं के प्रवेश पर कर अधिनियम 2011, झारखंड मनोरंजन कर अधिनियम 2012 और झारखंड विज्ञापन कर अधिनियम 2012 समाप्त हो जायेंगे। नयी कर व्यवस्था में राज्य सरकार का पेट्रोल, डीजल, पेट्रोलियम सामग्री, शराब, बिजली शुल्क और प्रोफेशनल टैक्स पर अधिकार रहेगा। जबकि शेष किसी वस्तु पर कितना टैक्स लगेगा यह केन्द्र सरकार की ओर से बनायी गयी जीएसटी परिषद तय करेगी। जीएसटी परिषद् ने करों की चार स्लैब-पांच,12,18 और 28 प्रतिशत तय की है। किस वस्तु को किस में रखा जायेगा। यह परिषद को तय करना है।