नई दिल्ली, (हि.स.)। टीवी एंकर रोहित सरदाना को मुस्लिम कट्टरपंथियों से मिल रही गंभीर धमकियों के खिलाफ तथा अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में गुरुवार को दिल्ली के कांस्टिट्यूशन कल्ब से लेकर प्रेस क्लब तक मार्च निकाला गया।
मार्च में पत्रकारों, अधिवक्ता और आमजन ने भाग लिया। वक्ताओं ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के ठेकेदार इस संबंध में संकीर्ण और भेदभाव वाला रवैया अपनाते हैं। कुछ मामलों को तुल देकर देशभर में मार्च और मोमबत्ती जलूस निकाले जाते हैं जब मुस्लिम कट्टरपंथ का सवाल उठता है तो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग चुप्पी साध लेते हैं।
मार्च में भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में पूर्व सांसद तरूण विजय, उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, वरिष्ठ पत्रकार विजय क्रांति, अनिल पांडे शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि टीवी पत्रकार रोहित सरदाना ने एक ट्वीट कर एक फिल्म एस दुर्गा के नाम पर आपत्ती जताई थी जिसमें पहले एस के स्थान पर एक अश्लील शब्द का प्रयोग किया गया था। रोहित ने सवाल उठाया था कि क्या फिल्म निर्माता अन्य धर्मिक समुदायों की महिला विभूतियों के साथ इस तरह का अश्लील शब्द जोड़ने की हिम्मत कर सकते हैं।
उनके इस ट्वीट के खिलाफ मुस्लिम कट्टरपंथी पिछले एक सप्ताह से उन्हें जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं। उनके टीवी चैनल के कार्यालयों पर प्रदर्शन भी हुए हैं। एंकर ने इन धमकियों के बारे में उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस को सूचित किया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
वरिष्ठ पत्रकार और सांसद तरुण विजय ने कहा कि समाज में जिस तरह से अस्पृश्यता (भेदभाव) गलत है उसी प्रकार पत्रकारिता में अस्पृश्यता गलत है। यह विचारधारा के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ हमारी आवाज है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस समय रोहित सरदाना के पक्ष में नहीं बोल रहे हैं वह पत्रकारिता में भेदभाव को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पुन: परिभाषित करने की ज़रूरत है। यह चयनित नहीं हो सकती। रोहित सरदाना को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। ऐसे में आज उनके खिलाफ जो फतवे जारी हो रहे हैं और धमकियां दी जा रही हैं, गलत है। उन्होंने कहा कि आज एक तबका भंसाली की अभिव्यक्ति की बात करता है। उन्होंने कहा कि रोहित सरदाना ने केवल इतना कहा था कि देवियों के नाम के आगे आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग होता है अगल अन्य धर्मों के महापुरुषों के साथ ऐसा हो तो क्या हो। इतनी-सी बात पर बवाल किया जा रहा है।
पत्रकार अनिल पांडे ने कहा कि गौरी लंकेश की बात होती है लेकिन रोहित सरदाना के साथ जो किया जा रहा है वह किसी को नहीं दिखाई दे रहा। यह पत्रकारों को लेकर जो चयनित नजरिया है कि यह इस विचारधारा का है वह उस विचारधारा का है नहीं होना चाहिए।