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चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर के सफलतापूर्वक उतारने के बाद पीएम ने कहा- इसरो का अगला आदित्य एल-वन मिशन होगा शुरू
By Deshwani | Publish Date: 23/8/2023 6:54:40 PM
चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर के सफलतापूर्वक उतारने के बाद पीएम ने कहा- इसरो का अगला आदित्य एल-वन मिशन होगा शुरू

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 का लैंडर चार चरणों की प्रक्रिया पूरी कर चन्‍द्रमा की सतह सफलतापूर्वक उतर चुका है। लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर 6 बजकर 4 मिनट पर उतरा है। इस तरह चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत विश्‍व का पहला देश बन गया है। 

 

चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर के सफलतापूर्वक उतारने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ़्रीका से वर्चुअली इसरो के वैज्ञानिकों को संबोधित किया। जाहंसवर्ग से वैज्ञानिकों व भारत की जनता को बधाई दी। उन्होंने ने कहा- इसरो का अगला आदित्य एल-वन मिशन होगा शीध्र शुरू होगा।


पीएम मोदी ने कहा, 'जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-वन मिशन शुरू करने जा रहा है। इसके बाद शुक्र भी इसरो के लक्ष्यों में से एक है।


चन्‍द्रयान-3 को 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया था। चन्‍द्रयान-3, पहली अगस्‍त को पृथ्‍वी की कक्षा को छोडकर चन्‍द्रमा की ओर रवाना हुआ था। 5 अगस्‍त को इसने सफलतापूर्वक चन्‍द्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।


 उतरने की प्रक्रिया चार चरणों में पूरी हुई। चन्‍द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला भारत विश्‍व का पहला देश बन गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार लैंडर विक्रम 6 बजकर 4 मिनट पर सतह पर उतरा। उसके बाद प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर निकलकर चन्‍द्रमा की सतह की जानकारी भेजेगा। देश-विदेश सभी भारतीय उत्‍सुकता से इस प्रक्रिया को देख रहे हैं और सफलता की शुभकामना भेज रहे हैं।



उन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता की बधाई के साथ इसरो के एक और मिशन की जानकारी दी है।पीएम मोदी ने कहा, "गगनयान के ज़रिए ह्यमून मिशन भी है. भारत बार बार ये साबित कर रहा है कि उड़ान की कोई सीमा नहीं है। इसलिए आज के दिन को हमेशा याद रखेंगे. ये दिन हम सभी को उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करेगा।'


पीएम मोदी ने कहा, 'चंद्रयान-3 का मिशन पूरी मानवता के लिए है, यह मानवतावादी विचार पर आधारित है. मुझे विश्वास है कि दुनिया के सभी देश ये उपलब्धि हासिल कर सकते हैं।"


"हम सभी चांद और उससे आगे के जहां के सपने देख सकते हैं. भारत की उड़ान चंद्रमा की कक्षा से आगे जाएगी. अभी कहा जाता है-चंदा मामा बहुत दूर के हैं और अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे-चंदा मामा बस एक टूर के हैं।'


पीएम मोदी ने कहा, 'मैं दुनिया के सभी देशों के लोगों से कहना चाहता हूं कि ये सिर्फ़ भारत की सफलता नहीं है। ये एक ऐसा साल है, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. हमारा एप्रोच वन अर्थ, वन फैमिली का है और हम ये रिप्रेजेंट करते हैं।"

 

चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रधानमंत्री के संबोधन का सारांश


मेरे प्यारे परिवारजन,

जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं, राष्ट्र जीवन की चिरिंजीव चेतना बन जाती हैं। ये पल अविस्मरणीय है। ये क्षण अभूतपूर्व है। ये क्षण, विकसित भारत के शंखनाद का है। ये क्षण, नए भारत के जयघोष का है। ये क्षण, मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। ये क्षण, जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। ये क्षण, 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। ये क्षण, भारत में नई ऊर्जा, नया विश्वास, नईं चेतना का है। ये क्षण, भारत के उदयीमान भाग्य के आह्वान का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की ये अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया, और चाँद पर उसे साकार किया। और हमारे वैज्ञानिक साथियों ने भी कहा कि India is now on the moon. आज हम अन्तरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। 


साथियो,

मैं इस समय ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में हूँ। लेकिन, हर देशवासी की तरह मेरा मन चंद्रयान महाअभियान पर भी लगा हुआ था। नया इतिहास बनते ही हर भारतीय जश्न में डूब गया है, हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ, अपने परिवारजनों के साथ उल्लास से जुड़ा हुआ हूँ। मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी जान से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस पल के लिए वर्षों तक इतना परिश्रम किया है। उत्साह, उमंग, आनंद और भावुकता से भरे इस अद्भुत पल के लिए मैं 140 करोड़ देशवासियों को भी कोटि-कोटि बधाइयाँ देता हूँ!


मेरे परिवारजनों,


 

हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और प्रतिभा से भारत, चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। अब आज के बाद से चाँद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे, कथानक भी बदल जाएंगे, और नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। भारत में तो हम सभी लोग धरती को माँ कहते हैं और चाँद को मामा बुलाते हैं। कभी कहा जाता था, चंदा मामा बहुत ‘दूर’ के हैं। अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे- चंदा मामा बस एक ‘टूर’ के हैं।

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