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हर साल प्राइमरी में ही स्कूल छोड़ देते हैं 61 लाख बच्चे
By Deshwani | Publish Date: 7/1/2018 6:44:05 PM
हर साल प्राइमरी में ही स्कूल छोड़ देते हैं 61 लाख बच्चे

 नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्र सरकार एक ओर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्वे शिक्षा अभियान से लेकर शिक्षा का अधिकार कानून को जमीन पर लागू कर उसका पालन कराने में जुटी है। इसके उलट आज भी देश में लाखों नौनिहाल प्राइमरी स्तर पर ही स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाते और पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो प्राइमरी स्तर पर ही पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या तकरीबन 61 लाख है।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्य सभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया कि वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 में औसत 4.38 प्रतिशत छात्र-छात्राओं ने प्राइमरी स्तर पर ही स्कूल छोड़ दिया। वहीं इस तीन साल की अवधि में उच्च प्राथमिक स्तर पर यह औसत 3.64 प्रतिशत रहा, जबकि सेकेंडरी स्तर पर यह औसत 16.48 प्रतिशत रहा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन संस्थान (एनआईईपीए) केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है। एनआईईपीए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षा पर एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू-डीआईएसई) के माध्यम से सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी सभी स्कूलों से प्रतिवर्ष स्कूलों में बीच में पढ़ाई छोड़ देने वालों सहित विभिन्न शैक्षिक बिन्दुओं पर सूचना एकत्र करता है।
 
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के स्कूली बच्चों का अनुमान लगाने के लिए तीन स्वतंत्र सर्वेक्षण कराए हैं। यह सर्वेक्षण वर्ष 2005, 2009 और 2014 में कराए गए थे। 6 से 13 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा जुटाने के लिए 2014 में किए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई कि इस आयु वर्ग के 60.64 लाख बच्चों ने स्कूल से नाम कटा लिया। हालांकि 2005 में यह आंकड़ा दोगुना से अधिक 134.6 लाख था। सर्वे में पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के कारणों में गरीबी व आर्थिक कारण, बच्चों की शिक्षा के प्रति अरूचि, दिव्यांगता और बेहतर स्वास्थ्य का न होना, छात्र का अन्य सहपाठियों से अधिक आयु का होना, घरेलू काम में बच्चे का सहयोग करना और परिवार में शिक्षा के महत्व को तवज्जो नहीं दिया जाना आदि बताए गए।
 
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