नई दिल्ली, (हि.स.)। केन्द्र सरकार के पास घुमंतू जनजातियों के पुनर्वास के बाद स्थायी जनजाति के दर्जे में रहने वालों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने गुरुवार को राज्यसभा में घुमंतू जनजातियों का पुनर्वास किए जाने से संबंधित पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि विभिन्न राज्यों में घुमंतू जनजातियों का पुनर्वास करके उनके घुमंतू जनजाति दर्जे को स्थायी रूप से रहने वाली जनजाति के दर्जे में परिवर्तित करने संबंधी संख्या और एेसी जनजातियों में शैक्षिक दर के बारे में इस समय कोई प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। तथापि सरकार ने वर्ष 2015 में राष्ट्रीय विमुक्त, घुमन्तू और अर्ध-घुमन्तू जनजाति आयोग का गठन किया है, ताकि अन्य बातों के साथ-साथ, केन्द्र और राज्यों के अन्तर्गत विमुक्त और घुमन्तू जनजातियों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन किया जा सके। इस आयोग का कार्यकाल 08 जनवरी, 2018 तक है।
इस समय विमुक्त जनजातियों को एक स्थान अथवा गांव में स्थायी रूप से बसाने की कोई विशिष्ट पुनर्वास योजना नहीं है। तथापि, इन जातियों के समाजिक-आर्थिक विकास हेतु भारत सरकार ने वर्ष 2014-2015 से निम्नलिखित योजनाएं कार्यान्वित की हैं-
डीएनटी के लिए डॉ.अंबेडकर मैट्रिक पूर्व और मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति- यह एक केन्द्र प्रयोजित योजना है जिसे वर्ष 2014-15 से उन डीएनटी छात्रों के कल्याण हेतु शुरू किया गया है जो अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत कवर नहीं होते हैं। पात्रता हेतु आय सीमा 2 लाख रूपये वार्षिक है। यह योजना राज्यों, संघशासित राज्य क्षेत्र सरकारों के माध्यम से कार्यन्वित की जाती है। वर्ष 2014-15 में इस योजना की शुरूआत से इसके अंतर्गत निम्नलिखित राशियां जारी की गई हैं- 2014-15 में 3.50 करोड़, 2015-16 में 4.50 करोड़, 2016-17 में 4.50 करोड़, 2017-18 में 3.07 करोड़ रुपए है।
डीएनटी बालक एवं बालिकाओं के लिए छात्रावासों के निर्माण की नानाजी देशमुख योजना शुरू की गई है। यह भी केन्द्र सरकार द्वारा प्रयोजित एक योजना है जो वर्ष 2014-15 में आरंभ की गई तथा राज्य सरकार,संघ राज्य क्षेत्र, प्रशासन, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों द्वारा इसका कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य डीएनटी के उन छात्रों को छात्रावास की सुविधाएं उपलब्ध कराना है जो अनुसूचित जाति, जनजाति अथवा अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत कवर नहीं किए गए हैं ताकि वे माध्यमिक तथा उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर सकें। पात्रता हेतु आय सीमा जो लाख रूपये वार्षिक है।