नई दिल्ली, (हि.स.)। भाषा सहोदारी हिंदी अभियान के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कई कॉलेजों में अभियान चलाया। इस अभियान के तहत हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए छात्रों से सीधा संवाद किया गया। भाषा सहोदारी हिंदी द्वारा पूरे भारत में चलाए जा रहे हिंदी अभियान को 1,847 महाविद्यालयों तक पहुंचाया जा चुका है। इस अभियान में अब दक्षिण भारत के पांचों राज्य भी जुड़ चुके हैं। आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना में हिंदी को स्थापित करने की मुहिम रंग ला रही है। इसके तहत श्रीनगर,असम, त्रिपुरा, मणिपुर, बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, में सहोदारी के हिंदी अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।
भाषा सहोदारी हिंदी के मुख्य संयोजक जय कान्त मिश्रा ने बताया कि मुझे खुशी है कि दक्षिण भारत के कॉलेजों के शिक्षक अपने लेख के माध्यम इस मुहिम को समर्थन दे रहे हैं। यही नहीं दक्षिण भारत के प्रमुख पांचों राज्यों से शिक्षकों के साथ और कई लोग दिल्ली के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आ रहे हैं। सहोदारी की पत्रिका इस बार दक्षिण भारत में हिंदी के महत्व पर विशेषांक निकाल रही है। जिसका विषय है 'दक्षिण भारत में हिंदी का महत्व'| इस विषय पर अब तक 157 लोगों ने लेख भेजा है।
जय कान्त मिश्रा ने कहा कि हमारी मांग है कि भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी को सम्पूर्ण भारत में स्थापित किया जाए। हिंदी को रोजगार से जोड़ा जाए, न्यापालिका में हिंदी लागू हो, बिकने वाले सामानों पर हिंदी लागू हो| जैसे चाइना , रशिया , जापान, कोरिया करता है। भारत के सभी विद्यालयों में 1 से 12 तक हिंदी पढ़ाई जाए। लिखित परीक्षाओं से अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म हो।