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मानवाधिकार संबंधी चुनौतियों से निपट सकती हैं भारतीय संस्थाएं: अमेरिका
By Deshwani | Publish Date: 9/9/2017 1:36:47 PM
मानवाधिकार संबंधी चुनौतियों से निपट सकती हैं भारतीय संस्थाएं: अमेरिका

वाशिंगटन। अमेरिका का मानना है कि भारतीय संस्थाओं में भारतीय पत्रकारों में गौरी लंकेश की हत्या जैसे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के कारण पैदा हुई चुनौतियों से निपटने की क्षमता है। दक्षिणी एवं मध्य एशियाई मामलों की कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने यह बात कही।
 
अपने वामपंथी नजरिए एवं हिंदुत्व के खिलाफ खुलकर अपने विचार रखने के लिए जानी जाने वाली 55 वर्षीय गौरी को मंगलवार को बेंगलुरू में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।
 
एलिस ने दक्षिण एशिया पर कांग्रेस की एक उपसमिति में सुनवाई के दौरान कहा कि भारत धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए ‘‘सर्वाधिक संवैधानिक सुरक्षा’’ मुहैया कराता है और अमेरिका का लक्ष्य भारत के साथ मिलकर काम करके उसे प्रोत्साहित करना है कि वह अपने संविधान एवं कानूनों में तय लक्ष्यों को पूरा करे।
 
उन्होंने गौरी की निर्मम हत्या का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जैसा मानवाधिकार रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में बताया गया है, आप जानते हैं कि धर्म संबंधी, उल्लंघन के मामले हैं और इस सप्ताह उस पत्रकार की हत्या की दुखद घटना हुई जो अक्सर राष्ट्रवादियों की आलोचना का शिकार होती थीं।’’ एलिस ने कहा कि हर लोकतंत्र के समक्ष ये चुनौतियां हैं। भारत एक लोकतांत्रित देश है और यह एक ‘‘जीवंत लोकतंत्र’’ है।
 
उन्होंने एशिया एवं प्रशांत मामलों पर सदन की विदेश मामलों की उपसमिति के अध्यक्ष टेड योहो के प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘हम भारतीय संस्थाओं और इन चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमता का सम्मान करते हैं। हम वरिष्ठ स्तर पर भारतीय अधिकारियों के साथ अपनी वार्ता में उन्हें निश्चित ही ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’’ ‘रिपोर्टर विदाउट बार्डर्स’ (आरएसएफ) ने एक बयान में कहा कि वह प्रमुख भारतीय पत्रकार एवं मीडिया की स्वतंत्रता की समर्थक गौरी लंकेश की बेंगलुरू में हुई हत्या से ‘‘बेहद स्तब्ध’’ है।
 
उन्होंने प्राधिकारियों से हत्यारों को पकड़ने और उन्हें सजा देने के लिए जल्द से जल्द हर संभव कोशिश करने की अपील की।
 
आरएसएफ के एशिया प्रशांत डेस्क के प्रमुख दानियेल बास्तर्द ने कहा, ‘‘हम इस निर्मम हत्या की निंदा करते है, जिसके कारण मीडिया एक मजबूत एवं कृत संकल्प चैंपियन से वंचित हो गया और भारत ने एक ऐसी आवाज गंवा दी जो देश के लोकतांत्रिक जीवन के लिए आधारभूत थी।’’ अमेरिका में ‘इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस’ ने कहा कि गौरी की हत्या ‘‘सोच समझ कर रची गई साजिश’’ के तहत की गई और इस साजिश को एक शक्तिशली आवाज को चुप कराने के लिए अंजाम दिया गया।
 
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की महानिदेशक इरिना बोकोवा ने भी भारतीय प्राधिकारियों से अनुरोध किया कि वे अपराधियों को न्याय के दायरे में लाना सुनिश्चित करें।
 
इरिना ने कहा, ‘‘मीडिया पर कोई भी हमला समाज के हर सदस्य की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक आधार पर हमला है। मैं भारतीय प्राधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करती हूं कि अपराधियों को न्याय के दायरे में लाया जाए और इस अपराध की सजा दी जाए।’’
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