मुंबई, (हिस)। अब ये लगभग साफ हो गया है कि केंद्र सरकार ने दो साल पहले सेंसर बोर्ड में सुधार के लिए हिंदी सिनेमा के मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल के नेतृत्व में गठित पांच सदस्यों की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और इसे फिलहाल लागू करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।
हाल ही में सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस बाबत दर्ज एक आरटीआई के जवाब में भेजी गई सूचना में बताया कि अभी तक इस कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन का काम जारी है और फिलहाल निकट भविष्य में लागू नहीं किया जा सकता। जब अरुण जेटली केंद्र में सूचना प्रसारण मंत्री थे, तो जनवरी 2016 में उन्होंने सेंसर बोर्ड में सुधार के लिए एक कमेटी का गठन किया था, जिसका प्रमुख श्याम बेनेगल को बनाया गया था। उनके अलावा इस कमेटी में फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा, गौतम घोष, एनएफडीसी की चेयर परसन नीना लता गुप्ता, विज्ञापन फिल्मों के निर्देशक पीयूष पांडे, पत्रकार भावना सोमैया और सूचना प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव के संजय मूर्ति शामिल थे।
इस कमेटी ने तीन महीने बाद अप्रैल में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंपी और जून में कमेटी की अंतिम रिपोर्ट सूचना प्रसारण मंत्रालय को सौंपी गई। इस कमेटी ने सिफारिश की थी सेंसर बोर्ड अमेरिकन पैटर्न पर ग्रेड के आधार पर फिल्मों को प्रमाणित करे, लेकिन बोर्ड के पास किसी फिल्म के किसी सीन या संवाद या पूरी फिल्म पर रोक का अधिकार नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा कमेटी ने सेंसर बोर्ड में आमूल परिवर्तन के लिए पूरा खाका बनाकर पेश किया था। बोर्ड के वर्तमान चेयरमैन पहलाज निहलानी ने भी इस कमेटी की अनुशंसाओं का स्वागत किया था, लेकिन एक साल से ज्यादा का वक्त होने के बाद भी सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के मूड में नहीं हैं। फिलहाल पहलाज निहलानी अपनी शैली में बोर्ड का काम करते रहेंगे।