पटना (हि स)- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत 11 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही विधान परिषद की 11 सीटें अगले वर्ष मई में खाली हो रही हैं।
नीतीश कुमार तथा सुशील कुमार मोदी के अलावा राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।तीन दलों के दिग्गज नेताओं की सीटों समेत खाली हो रही 11 सीटों के लिए मार्च से अप्रैल के बीच चुनाव होना है ।
बिहार विधान परिषद की खाली हो रही 11 सीटों में जदयू के कोटे के छह, भाजपा के चार और राजद की एक सीट शामिल है।
जदयू से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा , संजय सिंह, डा. उपेन्द्र प्रसाद, राजकिशोर कुशवाहा एवं चन्देश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी की कार्यविधि समाप्त हो रही है । जदयू की एक सीट नरेंद्र सिंह के इस्तीफे के कारण खाली हुई है ।
भाजपा के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ ही जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है उनमें स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, लाल बाबू प्रसाद एवं सतेंद्र नारायण सिंह शामिल हैं । राजद की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।
बिहार विधान परिषद में सदस्यों की संख्या के मुताबिक इन सीटों में एक सीट के लिए 21 विधायकों के वोट की जरूरत होगी।
विधान परिषद में दलीय स्थिति को देखा जाए तो उसके हिसाब से राजद के खाते में चार सीटें ,कांग्रेस के खाते में एक सीट ,जदयू के खाते में तीन सीट एवं भाजपा के खाते में दो सीट मिलने की संम्भावना है।
दल्लीय स्थिति के अनुसार इस चुनाव के बाद विधान परिषद में भी राष्ट्रीय जनता दल को मुख्य विपक्षी दल की मान्यता मिल जायेगी 1 72 सीटों वाली विधान परिषद में विपक्षी दल की मान्यता के लिए सात सदस्यों की आवश्यकता है 1
वर्तमान में विधान परिषद में संख्या बल के कारण विपक्ष का कोई भी नेता नहीं है1 इस चुनाव से राजद को विपक्षीय दल की मान्यता मिल जायेगी और राबड़ी देवी को विपक्ष की नेता की मान्यता मिलेगी 1
उल्लेखनीय है कि विधान परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष ने राजद को विपक्षी दल की मान्यता देने और साथ ही राबड़ी देवी को परिषद में विपक्ष का नेता की मान्यता देने सम्बन्धी आवेदन को ठुकरा दिया था 1 अब अगले वर्ष होने वाले चुनाव से राजद के लिए विपक्ष का नेता सम्बन्धी मानता से जुड़ा रास्ता साफ़ हो जाएगा 1