नयी दिल्ली। करोड़ों रुपये के अधिक रकम की टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण (सीबीआर्इ) ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोर्इ को विशेष अदालत द्वारा बरी किये जाने के खिलाफ हार्इकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले में सीबीआर्इ की विशेष अदालत ने पिछले साल दिसंबर महीने में टूजी स्पेक्ट्रम मामले के प्रमुख आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और कनिमोर्इ समेत करीब 19 लोगों को बरी कर दिया था। उसी समय सीबीआर्इ ने यह ऐलान कर दिया था कि वह इस फैसले के खिलाफ हार्इकोर्ट का दरवाजा खटखटायेगी।
पिछले साल 22 दिसंबर, 2017 को सीबीआर्इ के न्यायाधीश ओपी सैनी की एक विशेष अदालत ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक नेता कनीमोई सहित अन्य सभी आरोपियों को 2जी घोटाला मामले से संबंधित मामलों में बरी कर दिया था। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपपत्र में द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की पत्नी दयालू अम्मा को भी मामले में आरोपी बनाया था, जिसमें उसने आरोप लगाया था कि स्वान टेलीकॉम (प्राइवेट) लिमिटेड (एसटीपीएल) प्रमोटर्स द्वारा 200 करोड़ रुपये का भुगतान द्रमुक संचालित कलैंगर टीवी को किया गया था।
वहीं, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीबीआई की विशेष अदालत की आेर से आरोपियों को 22 दिसंबर, 2017 को बरी किये जाने के बाद जांच एजेंसी ने कहा था कि वह फैसले का अध्ययन करने के बाद भविष्य के अपने कदम तय करेगी। पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोई को सीबीआई की विशेष अदालत ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में बरी कर दिया, अदालत ने 15 अन्य आरोपियों और तीन कंपनियों को भी बरी किया गया था।
गौरतलब है कि राजा और अन्य आरोपियों के खिलाफ अप्रैल, 2011 में दायर अपने आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों के आवंटन के दौरान 30,984 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी, 2012 को इन आवंटनों को रद्द कर दिया था। सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया था।