ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राष्ट्रीय
भारतीय मूल के अभिजीत और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को मिला वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
By Deshwani | Publish Date: 14/10/2019 5:44:38 PM
भारतीय मूल के अभिजीत और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को मिला वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

स्टॉकहोम। भारतीय मूल के अमरीकी इकॉनामिस्ट अभिजीत बनर्जी को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार फ्रांस की एस्थर डफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया गया है। इन तीनों को यह पुरस्कार वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किए गए कार्यों के लिए दिया गया। 
 
नोबेल समिति के आज जारी बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।
 
बयान के मुताबिक, इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नये प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।
 
अभिजीत बनर्जी मूल रूप से भारत के पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैँ। उनका जन्म 21 फरवरी 1961 को मुंबई में हुआ। अभिजीत ने भारत में कलकत्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1988 में हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। बनर्जी वर्तमान में मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतर्राष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। 
 
उन्होंने वर्ष 2003 में डुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) की स्थापना की। वह प्रयोगशाला के निदेशकों में से एक हैं। बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की 2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति के सदस्य भी रह चुके हैँ।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS