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रायबरेली सदर से पांच बार विधायक रहे बाहुबली अखिलेश सिंह का निधन
By Deshwani | Publish Date: 20/8/2019 11:50:13 AMरायबरेली। रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का आज तड़के लखनऊ में निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ के पीजीआई में आज अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लालूपुर पहुंच गया है, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके निधन से पूरे परिवार में शोक की लहर है। 59 वर्षीय अखिलेश सिंह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। उनका इलाज सिंगापुर में भी चला। सोमवार को उन्हें नियमित जांच के लिए उन्हें लखनऊ के पीजीआई ले जाया गया था, जहां तबीयत बिगड़ने पर उन्हें भर्ती किया गया और मंगलवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
जनपद के लोग बताते हैं कि अखिलेश सिंह रायबरेली की राजनीति के बेताज बादशाह थे। उनके राजनीतिक करियर की बात करें तो अखिलेश सिंह रायबरेली सीट से पांच बार विधायक चुने गए। उन्होंने 90 के दशक में अपने सियासी सफर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 1993 पहली बार कांग्रेस पार्टी के विधायक बने। तीन बार कांग्रेस विधायक रहने के बाद पार्टी हाईकमान से मतभेदों के चलते 2003 में उन्हें कांग्रेस से बाहर जाना पड़ा। हालांकि इसके बाद भी निर्दलीय विधायक बने। 2011 में अखिलेश ने पीस पार्टी के राष्ट्रीय महसचिव की कमान संभाली और 2012 विधान सभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। इसके बाद गांधी परिवार को खूब कोसते थे।
2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश सिंह ने स्वास्थ्य ठीक न होने पर राजनीति से संन्यास ले लिया था। अखिलेश के राजनीति से बाहर होने के बाद उनकी जगह उनकी बेटी अदिति सिंह राजनीति में आईं। 2016 में विदेश से पढ़ाई करके लौटी बेटी अदिति सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुईं । पिता की सीट पर पहली बार चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की।
लोगों के बीच अखिलेश सिंह की पहचान राजनेता के अलावा बाहुबली के रूप में भी थी। उनके खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामलों में 45 से भी ज्यादा केस दर्ज थे। हालांकि वह कई मामले में कोर्ट से बरी हो चुके थे। उन पर अभी भी कई मामले कोर्ट में पेडिंग हैं। 1988 के चर्चित सैय्यद मोदी हत्याकांड में भी अखिलेश सिंह का नाम आया था। उनके साथ अमेठी राजघराने के संजय सिंह और सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी पर भी केस दर्ज हुआ था। हालांकि 1990 में संजय सिंह और अमिता को कोर्ट ने बरी कर दिया था और 1996 में अखिलेश सिंह भी बरी कर दिए गए थे। इसके बावजूद उन्होंने रायबरेली में अपना वर्चस्व कायम रखा।