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बिहार
एलएनडी काॅलेज में मनाया गया हिंदी दिवस
By Deshwani | Publish Date: 15/9/2022 1:14:39 AM
एलएनडी काॅलेज में मनाया गया हिंदी दिवस

मोतिहारी। जिले के एलएनडी काॅलेज में बुधवार को कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.)अरुण कुमार की अध्यक्षता में हिंदी दिवस मनाया गया। इस शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि एमएस कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार, कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम सहित सभी शिक्षकों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

 

साहित्यानुरागी मुख्य अतिथि प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि भाषा का एकमात्र उद्देश्य संप्रेषणीयता है। समन्वित संस्कृति वाले भारतवर्ष में हिंदी मां गंगा की भांंति विभिन्न भाषाओं का संगम है जिनमें अनेक नदियों की तरह अनेक भाषाएं मिली हुई हैं। हिंदी के भविष्य को लेकर चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह विश्व में अपनी विजय पताका फहरा चुकी है।

 

प्रेम और ह्रदय की भाषा हिंदी में सूरदास द्वारा वर्णित वात्सल्य भाव विश्व साहित्य में अन्यत्र अनुपलब्ध है। उन्होंने अपने सारगर्भित व्याख्यान में कहा कि अमीर खुसरो, विद्यापति, कबीरदास, तुलसीदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी, मैथिलीशरण गुप्त, जयशंंकर प्रसाद, नागार्जुन, फणीश्वर नाथ रेणु व रामधारी सिंह दिनकर जैसे साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को सशक्त व समृृद्ध कर विकसित किया है। हिंदी भाषा को राजबल भले न मिला हो लेकिन इसे संत बल और श्रमबल भरपुर मिला है।

 

हिंदी भाषा में रोजगार की भी असीम संभावनाएं है। हिंदी भाषा में प्रवीणता प्राप्त कर लोग संवाददाता, उपसंवाददाता, समाचार वाचक, फिल्म, धारावाहिक, वेवसीरिज, विज्ञापन, बैंक, रेलवे, शैक्षणिक संस्थान, भारतीय सेनाओं, भारत सरकार के विभिन्न उपक्रम, नवरत्न कंपनियों एवं महारत्न कंपनियों में रोजगार पा सकते हैं। आज हिंदी अपने बल पर वैश्विक विश्व में उड़ान भर रही है।


समावेशी व्यक्तित्व के धनी कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में विद्यार्थियों को भाषायी हीनता बोध से बाहर आने का आह्वान किया। संज्ञानात्मक विकास की प्रथम भाषा मातृभाषा ही है। इतिहास विभागाध्यक्ष डाॅ. सुबोध कुमार ने हिंदी दिवस पर हिंदी के उद्भव व विकास को विस्तृृत रूप से रेखांकित किया।

हिंदी के जोश और जुनून से सराबोर मीडिया प्रभारी डॉ.कुमार राकेश रंजन ने हिंदी प्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी से ही हिंद है। आज हिंदी राष्ट्र भाषा की गंगा से विश्व भाषा का महासागर बन रही है। हिंदी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, संसद से लेकर सड़कों तक और साहित्य से लेकर सिनेमा तक हर जगह संवाद का सबसे बड़ा पुल बनकर सामने आती है। देश में सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा के लिए भी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? संविधान में निर्देशित 15 वर्ष की अवधि बीतने पर भी हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में सर्वमान्य नहीं हो सकी। इस राष्ट्र के आराध्य प्रभु श्री राम को 14 वर्ष का और पांडवों को 12 वर्ष का वनवास मिला था किंतु हिंदी को 15 वर्ष का वनवास मिला। आजादी के 75 वर्ष बीत गए अमृतकाल प्रारंभ हो गया किंतु हिंदी का राष्ट्रभाषा के पथ पर पदासीन होने का वनवास समाप्त नहीं हुआ। हिंदी की यह यात्रा 'सौ दिन चले अढ़ाई कोस' की रही है। आज विद्यार्थियों को आधुनिकता एवं अंग्रेजीप्रेम से अलग होकर हिंदी की रोचकता और महत्ता को जानने-पहचानने की जरूरत है।

        हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम ने पाॅवर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण द्वारा हिंदी भाषा के सांविधानिक पहलुओं को रेखांकित करते हुए इसके भाषायी विकास पर प्रकाश डाला। हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो.जयपाल कुमार ने हिंदी व्याकरण प्रतियोगिता परीक्षा के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए हिंदी भाषा के व्याकरणिक और व्यवहारिक ज्ञान के प्रति सजग रहने का संदेश दिया। हिंदी विभाग की प्राध्यापिका डाॅ.कस्तुरी शिवम सौंदर्यम ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही कि भाषायी श्रेष्ठता के आधार पर भेदभाव मुक्त हिंदी भाषा राष्ट्रीय भावना की सशक्त अभिव्यक्ति है।

         हिंदी विभाग के सानिध्य में एलएनडी कॉलेज के विद्यार्थियों ने हिंदी व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने व्याकरण को समृद्ध किया। प्रतिभागी मो.समर एवं दीपक कुमार ने बताया कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने से उनके एमआईएल पेपर की लगभग आधी तैयारी पूरी हो गई है। ज्ञातव्य हो कि सोमवार को हिंदी विभाग के तत्वावधान में कुल 36 टीमों की लिखित परीक्षा संपन्न हुई थी। प्रत्येक टीम में दो विद्याथियों को रखा गया था। मूल्यांकनोपरांत टाॅप टेन टीमों को फाईनल ओरल राउंड के लिए चयनित किया गया। समान अंक रहने पर दसवें टीम में तीन टीमों का चयन किया गया था। बुधवार को मुख्य अतिथि की उपस्थिति में हिंदी व्याकरण प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का ओरल राउंड संपन्न हुआ। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम एवं प्रो.जयपाल कुमार ने प्रश्न पूछकर ओरल राउंड को आनंददायक बना दिया। तदुपरांत अंतिम राउंड की तीन विजेता टीमों का चयन किया गया।
 
व्याकरण विधा में अपनी मेधा का प्रदर्शन करते हुए टीम सं- 14 ने प्रथम स्थान, टीम सं- 27 ने द्वितीय स्थान तथा टीम सं-11ने तृतीय स्थान हासिल किया। टीम सं- 14 में ऋचा कुमारी व शिवानी कुमारी, टीम सं- 27 में प्रिंस कुमार व मधु कुशवाहा तथा टीम सं-11 में रूपााली कुमारी व सोनाली कुमारी शामिल थी। मुख्य अतिथि द्वारा तीनों विजेता टीमों तथा सभी प्रतिभागियों को हिंदी दिवस तथा बौद्धिक प्रगति की शुभकामनाएं दी गई। मुख्य अतिथि एमएस कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार एवं कॉलेज प्रधानाचार्य प्रो.(डाॅ.) अरुण कुमार ने संयुक्त रूप से तीनों विजेता टीमों को पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते हुए हौसला अफजाई किया। 
 
        इस अवसर पर हिंदी विभाग की विभागीय जांच परीक्षा में सत्र-2021-24 के स्नाातक (सम्मान) हिंदी प्रथम खंंड व सत्र-2020-23 के स्नाातक (सम्मान) हिंदी द्वितीय खंड के छ: विजेता विद्यार्थियों को भी   पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते हुए हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. राधेश्याम ने कहा कि विभागीय जांच परीक्षा से विद्यार्थियों को आत्म मूल्यांकन का अवसर मिलता है जिससे विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में उन्हें आत्मविश्वास का अहसास होता है। विदित हो कि सत्र-2021-24 के स्नाातक (सम्मान) हिंदी प्रथम खंंड की विभागीय जांच परीक्षा में रीशु कुमारी ने प्रथम स्थान, मनीषा कुमारी ने द्वितीय स्थान व खुशबू कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वही सत्र-2020-23 के स्नाातक (सम्मान) हिंदी द्वितीय खंड की विभागीय जांच परीक्षा में ऋचा कुमारी ने प्रथम स्थान, उजाला कुमारी ने द्वितीय स्थान व कविता कुमारी ने तृतीय स्थान हासिल कर अपनी मेधा की धूम मचाई।

         मंच का सफल संचालन व धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम ने किया। मौके पर हिंदी प्रेमी प्राध्यापकों की ओर से इतिहास विभागाध्यक्ष डाॅ. सुबोध कुमार, एनसीसी एएनओ ले.दुर्गेशमणि तिवारी, बीसीए समन्वयक डाॅ.सर्वेश दूबे, भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो.राकेश रंजन कुमार, एनएसएस पीओ प्रो.अरविंद कुमार, मीडिया प्रभारी डॉ.कुमार राकेश रंजन, उर्दू विभागाध्यक्ष डाॅ.जौवाद हुसैन, प्रो.जयपाल कुमार, डाॅ.कस्तुरी शिवम सौंदर्यम, डाॅ.प्रीति प्रिया, डाॅ. परमानंद त्रिपाठी, डाॅ.जयंंती झा, प्रो. मधुलिका सहित सभी प्राध्यापक तथा प्रतियोगियों की ओर से मनीषा, संजना, पप्पु, मनोहर, मृत्युंजय आजाद, प्रभात, हिमांशु, दीपक, समर, मनोज, राकेश कु. शर्मा सहित सभी विद्यार्थी उपस्थित थे।
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