ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
बिहार
रोजा तोड़ मुस्लिम युवक ने बचाई नवजात की जान
By Deshwani | Publish Date: 28/5/2018 12:00:59 PM
रोजा तोड़ मुस्लिम युवक ने बचाई नवजात की जान

दरभंगा। आज दरभंगा के एक नर्सिंग होम में एक वाकया देखने को मिला जिसमें मजहब नहीं इंसानियत का एक नमूना पेश किया गया। जो आज के समय में एक उदाहरणस्वरूप मना जाएगा। यह नमूना हिंदू-मुसलिम के बीच बढ़ती खाई का अनूठा उदाहरण है। आज के समय पर जहां कई लोग सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के धर्म के खिलाफ जहर उगलने का काम कर रहे हैं, वहीं एक युवक ने दिखा दिया है कि सोशल मीडिया का सही उपयोग कैसे किया जा सकता है। दरभंगा ने एक मुस्लिम युवक ने खून देकर हिन्दू बच्चे की जान बचाई और मजहब के नाम पर लोगों को लड़ाने वालों के सामने एक उदाहरण भी पेश किया।

दरभंगा के सेना जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दो दिन पहले एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी। आनन-फानन में बच्चे को मां से अलग कर आईसीयू में रखा गया। डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए खून की मांग की। नवजात बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव होने के कारण खून आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था।

बच्चे को बचाने के लिए परिवार वालों ने सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत बताने के साथ एसएसबी बटालियन में भी अलग-अलग जगहों पर मैसेज भेजा। सोशल मीडिया के जरिए संदेश मोहम्मद अस्फाक तक भी पहुंचा। मोहम्मद अस्फाक ने तुरंत पीड़ित परिवार से संपर्क किया और अस्पताल पहुंच गया।

मोहम्मद अस्फाक खून देने अस्पताल पहुंच तो गया लेकिन रोजे पर होने की वजह से डॉक्टरों ने उसका खून लेने से साफ इनकार कर दिया। मोहम्मद अस्फाक के सामने यहां एक तरफ रोजा था तो दूसरी तरफ नवजात की जिंदगी का सवाल। उन्होंने बच्चे की जान बचाने का फैसला किया और बीच में ही रोजा तोड़कर कुछ खाने को मांगा, जिसके बाद डॉक्टरों ने उनका खून लिया।

नवजात बच्चे के लिए अपना खून देनेवाले अशफाक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रोजा तो फिर कभी रख लेंगे पर जिंदगी किसी की लौट कर नहीं आती। उन्हें गर्व है की आज खुदा ने उनसे यह काम करवाया, उन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि नवजात किस जाति या धर्म का है।

साफ है असफाक ने अपना खून देकर धर्म और जाति के नाम पर एक दूसरे से नफरत करने वाले लोगों से संदेश दिया है कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. मुश्किल वक्त में इंसान का धर्म नहीं उसकी इंसानियत काम आती है.

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS