पटना। बिहार के आयुष चिकित्सको और एलोपैथ चिकित्सकों को एमबीबीएस चिकित्सकों के के बराबर हीं वेतन का भुगतान होंगा। बता दे कि राज्य में 3021 आयुष चिकित्सकों को संविदा पर कार्यरत है। सरकार ने अब इन सभी को एमबीबीएस चिकित्सकों के बराबर 49 हजार रुपये का मानदेय देने की बात हीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ज्ञान भवन में आयोजित आयुर्वेद पर्व के उद्घाटन समारोह में इस बात का एलान किया।
बता दे कि आयुर्वेद पर्व का आयोजन ऑल इंडिया आयुर्वेदिक कांग्रेस के तत्वावधान में किया गया था। कार्यक्रम का आयोजन बिहार स्टेट आयुर्वेदिक कांग्रेस तथा स्वास्थ्य (आयुष) विभाग ने संयुक्त रूप से किया था। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद थे।
बिहार में 2010 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 1384 तथा 2015 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 1637 आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की गयी थी। 2010 में संविदा पर नियुक्त आयुष चिकित्सकों को 25 हजार दो सौ रुपये तथा 2015 में नियुक्त को 21 हजार रुपये का मानदेय मिलता है। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ मधुरेंदु पांडेय ने बताया कि एसोसिएशन मानदेय को एमबीबीएस चिकित्सकों के समतुल्य करने की लंबे समय से मांग कर रहा है।
इस मौके पर सीएम नीतीश ने कहा कि आयुर्वेद में काफी दम है। इस क्षेत्र में जितना शोध होना चाहिए था वह नहीं हुआ है। जब इस क्षेत्र में अनुसंधान होगा तो बहुत सारी बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा। यह मूल चिकित्सा पद्धति है। वह चाहते हैं कि बिहार के सारे आयुर्वेदिक कॉलेज ठीक से कार्यरत हों। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि अगले एक साल में बिहार के उन चार आयुर्वेदिक कॉलेजों में पढ़ाई आरंभ हो जाएगी जहां पढ़ाई अभी बंद है। इसके लिए बेगूसराय में 47 पद की स्वीकृति मिल गयी है।
स्वास्थय मंत्री ने कहा कि बेगूसराय, दरभंगा, बक्सर और भागलपुर के लिए 156 पदों की स्वीकृति का मामला कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है। आयुष मिशन के गठन होने से बिना व्यवहार के पड़े 32 करोड़ रुपये भी अब खर्च हो सकेंगे। उन्होने कहा कि शीघ्र ही आयुर्वेद की दवाओं की खरीद दस करोड़ की लागत से होगी और अस्पतालों में यह उपलब्ध होगी।