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भ्रष्टाचार से मुक्त रहे इस बार का आईपीएल
By Deshwani | Publish Date: 4/4/2017 5:04:11 PM
भ्रष्टाचार से मुक्त रहे इस बार का आईपीएल

आईपीएल के दसवें सीजन में भ्रष्टाचार का दीमक न लगे

रमेश ठाकुर

आईपीएन। आईपीएल के दसवें सीजन में भ्रष्टाचार का दीमक न लगे। उम्मीद है कि इस बार का संस्करण कुछ बदला नजर आएगा। आईपीएल का दसवां सीजन पिछले नौ संस्करणों से जुदा होगा, इस तरह की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जिनकी वजह से यह टूर्नामेंट विवादों से घिरा रहा है उन मछलियों के पर इस बार कतर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी के अरमानों पर चाबुक चला दिया है। यूं कहें कि सियासी लोगों से तकरीबन अलग कर दिया गया है मौजूदा आयोजन। कोर्ट ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को पूरी तरह बेदखल कर दिया है साथ ही उनकी एक्टिव टीम को भी पैदल कर दिया है। 2017 के इंडियन प्रीमियर लीग पर सुप्रीम कोर्ट की गठित नई कमेटी निगरानी करेगी, जिसकी कमान कैग के पूर्व चीफ व तेजतर्रार प्रशासनिक अफसर विनोद राय के हाथों में हैं। इसलिए विवाद उठने की संभावनाएं तकरीबन खत्म हो गई हैं। टूजी स्कैम का जिस तरह से उन्होंने पर्दाफास किया है उस कारनामे को शायद ही कोई भूल पाए। पिछले चार माह से विनोद राय व उनकी टीम आईपीएल को स्वच्छ तरीके से कराने के लिए मैराथन बैठकें कर रहे हैं। वह किसी भी तरह से इस बार का आयोजन साफ-सुधना व एतिहासिक कराने चाह रहे हैं। 

आईपीएल का दसवां संस्करण आगे के आयोजनों का भविष्य तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी व विनोद राय की निगरानी में शुरू किया जा रहा है। भ्रष्टाचार व फसाद का दूसरा नाम इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के दसवें सीजन का आज से आगाज हो रहा है। अभी तक नौ सीजन हुए सभी पर दाग लगा। दाग ऐसे की धुलने का नाम तक नहीं ले रहे। कई देश छोड़कर भागे हुए हैं। सियासत से जुड़े कई लोग किनारे लग गए। अनगिनत लोगों पर जांच हो रही है। इसलिए आईपीएल और विवाद का साथ चोला-दामन जैसा हो गया है। कहते हैं कि आईपीएल बिना सट्टेबाजी से नहीं चल सकता। इसमें करोड़ों-अरबों रूपए पानी की तरह बहाए जाते हैं। आयोजक जैसे आईपीएल की तैयारी करते हैं वैसे ही सट्टेबाज सट्टे का बाजार सजाने में लग जाते हैं। हर मैच, हर खिलाड़ी व हर एक गेंद का भाव सट्टे में तय होता है। इसमें लोग करोड़ों कमाते हैं, पर कई नंगे भी हो जाते हैं। सट्टेबाज आईपीएल का इंतजार त्योहार की तरह करते हैं। टूर्नामेंट सफल हो, या असफल सट्टेबाजों को फर्क नहीं पड़ता, पर उनका धंधा किसी भी सूरत में परवान चढ़ जाता है। इस खेल में सियासी लोगों की भागीदारी भी खूब रहती है। उनके दिशा-निर्देश से ही यह गौरखधंधा फलता-फूलता है। सट्टे को लेकर कई बार बेहूदा सवाल भी उठते रहते हंै कि सट्टेबाजी को कानूनी जामा पहना दिया जाए। अगर ऐसा होता है उसके दुष्प्रमाण बहुत ही बुरे होंगे। क्योंकि सभ्य समाज में कभी भी लाॅटरी, सट्टेबाजी को ठीक नहीं माना गया है। इस लत के चलते कईयों के घर बर्बाद हो गए हैं। 

दरअसल आईपीएल का जन्म विवाद के साथ ही शुरू हुआ था। सट्टेबाजी और फिक्सिंग का नाम आते ही हमारे जहन में वो काला दिन याद आता है जब आईपीएल के साथ-साथ भारतीय क्रिकेट भी कलंकित हुआ था। 16 मई 2013 भारतीय क्रिकेट के लिए वो काला दिन है जिसने पूरे क्रिकेट जगत को हिलाकर रख दिया था। दिल्ली पुलिस ने राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों, एस श्रीसंत, अंकित चैहान और अजीत चंदेला को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फिक्सिंग की फांस में फंसने के बाद काफी लंबे समय तक इन खिलाड़ियों को जेल में रहकर वहां की हवा खानी पड़ी थी। इसके बाद इन तीनों का क्रिकेट करियर पूरी तरह से खत्म हो गया। हालांकि पिछले साल क्रिकेटर एस श्रीसंत को कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। क्योंकि उस समय तक उनका करियर चैपट हो चुका था। इस मामले की सही व स्वतंत्र जांच करने के लिए मुद्गल कमेटी बनाई गई, जिन्होंने इस मामले पर फैसला सुनाया।

मौजूदा आयोजन भी अगर विवाद व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है तो आईपीएल को खत्म करने की सिफारिश विनोद राय कोर्ट को कर देंगे। आईपीएल की सच्चाई वह करीब से आजमाने के लिए ही इस बार कोर्ट हस्तक्षेप कर रहा है। सभी को पता है कि आईपीएल का इतिहास अभी तक बहुत ही बुरा रहा है। दरअसल लीग की शुरूआत ही अजीबो ठंग से हुई थी। हुआ यूं था कि भारत को पहला वल्र्ड कप दिलाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव की अगुवाई में औद्योगिक घराने ने इंडियन क्रिकेट लीग बनाई तो उसके काट के लिए बीसीसीआई ने आईपीएल की शुरुआत की और बाद में कपिल की अगुवाई वाली क्रिकेट लीग तो खत्म कर दिया गया उसके बाद बीसीसीआई ने तुरंत आईपीएल नाम से क्रिकेट टूर्नांमेंट का आयोजन किया। पहले सीजन को क्रिकेट प्रमियों ने उचाईंयों पर पहुंचा दिया। बीसीसीआई को एतिहासिक सफलता मिली। इसके बाद कारवां चल पड़ा और सीजन पांच-छह तक दर्शकों ने हाथों-हाथ लिया, लेकिन जैसे-जैसे विवादों में आईपीएल घिरता गया, इसकी दर्शक संख्या लगातार घटती रही। आठवें व नवें सीजन में दर्शकों की नीरसता हमको देखने को मिली। इसके बाद से आईपीएल की लोकप्रियता लगातार गिरती जा रही है। दर्शकों की निरसता का एक कारण यह भी है, उनको अब लगने लगा है कि इसके क्रिकेट कम, बल्कि व्यवसाय ज्यादा है। दर्शकों की आड़ में व्यवसायी अपनी झोली भर रहे हैं।  

आईपीएल के शुरूआती संस्करणों में सीजन के शुरू होने कुछ माह पहले से ही प्रचार-प्रसार होने लगता था। चाहे टीवी हो, या समाचार पत्र हर जगहों पर आईपीएल के विज्ञापन दिखाई-सुनाई देते थे। लेकिन दसवें सीजन में ऐसा बिल्कुल नहीं किया जा रहा। सब गुपचुप तरीके से। अनगिनत लोगों को पता ही नहीं है कि आज से दसवां संस्करण शुरू हो रहा है। क्योंकि इस बार प्रचार शुन्य के बराबर किया गया। सच्चाई यह भी है कि क्रिकेट को आईपीएल के जरिए नया लुक मिला है। इसका श्रेय बर्खास्त आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी को जाता है। लेकिन वह आईपीएल की सफलता पचा नहीं पाए और भ्रष्टाचार के दलदल में खुद और इस टूर्नांमेंट को सांद गए। आईपीएल ने बीसीसीआई से लेकर खिलाड़ियों को भी मालामाल कर दिया। मोदी अब भी देश के बाहर है तथा कानून उन्हें भगोडा करार दिया हुआ है। दसवें संस्करण के लिए बिके खिलाड़ियों को पिछले संस्करणों की तरह कीमत नहीं मिली है। यही वजह है कि कुछ खिलाड़ियों ने तो खेलने से ही मना कर दिया। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आईपीएल अब शायद अपने ढलान की तरफ बढ़ता जा रहा है। विनोद राय की अगुआई में आयोजित हो रहा दसवां संस्करण आईपीएल का भविष्य तय करेगा।

( उपर्युक्त लेख लेखक के निजी विचार हैं। आवश्यक नहीं है कि इन विचारों से आईपीएन भी सहमत हो। )

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