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बिहार
इंडो-नेपाल सीमा पर सड़क जिर्णोद्धार से भारतीयों कें आक्रोश
By Deshwani | Publish Date: 6/2/2017 1:13:28 PM
इंडो-नेपाल सीमा पर सड़क जिर्णोद्धार से भारतीयों कें आक्रोश

सुपौल/निर्मली, (हि.स.)। इंडो नेपाल बार्डर पर नेपाल सरकार द्वारा अपने भाग में सड़क जिर्णोद्धार कराये जाने पर भारतीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है। पंचायत के कई लोगों का कहना है कि 29 जुलाई को भारत नेपाल के बीच विवादित मुद्दे पर हुए समझौते के विपरीत सीमा पर पिलर संख्या 223 से 222 तक सड़क पर मिट्टी जिर्णोद्धार का काम कराया जा रहा है। 

इंडो-नेपाल सीमा से लगी जिले के कुनौली पंचायत सीमा बांध को लेकर पिछले साल सुर्ख़ियों में रहा था । इंडो-नेपाल पिलर संख्या 223 होकर तिलयुगा व खारू नदी का पानी बहता है। इस नदी होकर नेपाल के दो दर्जन से अधिक नदियों का पानी बहता है। 1987 के बाद से इस नदी में गाद व बालू के भर जाने से नदी का प्राक्रतिक पानी का बहाव बंद हो गया। दोनों देशों के लोगों के बीच पानी बहने कि कि समस्या बनी विवाद का कारण। 23 जुलाई को सीमा बांध टूटने से यहां के तीन पंचायतों का हजारों एकड़ फसल के साथ-साथ करोड़ों कि क्षति हुई थी।जल संसाधन विभाग सीमा बांध बांधने का काम कर रहा था। 28 जुलाई को नेपाल सप्तरी जिला के सीडीओ (डीएम ) सीमा बाँध का स्थल जाँच करने आये उसी समय नेपाल के तिलाठी गांव के सैकड़ों की संख्या में आये लोगों ने बाँधा हुआ सीमा बाँध को फिर से तोड़ दिया। इसकी जानकारी जब कुनौली लोगों द्वारा भी विरोध प्रकट किया। इस घटना के बाद बाद 29 जुलाई को कुनौली कोशी निरीक्षण भवन मे डीएम ,एसएसबी 45वीं बटालियन के कमांडेंट , जल संसाधन विभाग के ई ई ,नेपाल से सप्तरी के सिडीओ, जल उत्पन प्रकोप के प्रमुख व दौनो देशों केजनप्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में तीन बिन्दुओं पर सहमति बना। तिलयुगा व खारू नदी का जो पहला अस्तित्व था जो अब समाप्त हो चुका है।

 जिस कारण विवाद बढ़ रहा है। इसलिए नदी को एक किलो मीटर अप और दो किलो मीटर डाउन नदी का उराही कर दिए जाने से बाढ़ व जल जमाव कि समस्या नहीं रहेगा। जिसका प्रस्ताव भारत सरकार के जल संसाधन के पास लम्बित है। इस समस्या को सुलझाने के लिए दोनो देशों के अभियंताओं की पांच सदसीय टीम गठित कर दिया गया। सीमा बांध बांधने पर तत्काल रोक लगा दिया गया। डीएम ने कहा था नेपाल कि समतल भूमी है और नेपाल जलग्रहण क्षेत्र भी है बांध नहीं रहने से पानी आयेगा और चला जायेगा। जब तक नदी कि उराही नहीं होता तब तक कि बांध नहीं बांधा जाएगा। उसके बाद भी नेपाली भाग में पिलर संख्या 223 से 222 तक तकरीबन सात फिट ऊंचा करके बांध सह सड़क बनाया जा रहा है।

 कुनौली निवासी भूतपूर्व प्रमुख अरविन्द कुमार गुप्ता, भूतपूर्व मुखिया वासीद अहमद, लक्ष्मी साह,राम सेवक कामत, वीरेंद्र मंडल, मनोज सिंह सहित अन्य लोग कहते है कि इस प्रकार बांध निर्माण होने से नेपाल हिस्से में जलग्रहण क्षेत्र बन जायेगा। यही जल-जामाव टूटने पर एक बार फिर भारतीय भाग में बाढ़ आने कि सम्भावना बढ़ रही है। अगर इस निर्माण से पहले नदी कि उराही नहीं कराई गई तो बाढ़ से इस बार फिर भारी क्षति होगी। 

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