सुल्तानपुर, (हि.स.)। ’हिम्मत बड़ी हो तो मददगार खुदा होता है’, इन पंक्तियों को सच साबित किया है लोगों से व्हीलचेयर मैन आफ इंडिया का खिताब पाए इमरान कुरैशी ने। इमरान के कारनामों का आलम यह है कि अब व्हीलचेयर उनके आगे अपाहिज लगती है क्योंकि इमरान उसे कठपुतली बनाकर नचाते हैं। हैरतंगेज कारनामों और बड़े खिताब जीतने के बाद इमरान में समाज के लिए कुछ कर गुज़रने की अलख जगी और अब उन्होंने अपने जैसे दिव्यांगों को आत्म निर्भर करने के लिए 45 दिनों की ट्रेनिंग देने का मन बनाया है जिसकी शुरुआत जल्द होगी।
इमरान बताते हैं कि दिव्यांगों के प्रशिक्षण कैम्प के लिए शहर में एक स्थान देने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था। तभी उनकी मुलाकात शहर के फायज़ा हास्पिटल के संचालक सर्जन डा. सादिक अली से हुई। उन्होंने अपने कार्यक्रम के बारे में उन्हें अवगत कराया तो उन्होंने अपने हास्पिटल में जगह दे दी। अब जल्द ही इमरान यहां 45 दिनों तक कैम्प लगाकर समाज के अन्य दिव्यांगों को अपनी तरह आत्म निर्भर बनाने का प्रयास करेंगे। इमरान बताते हैं कि इस कैम्प में दिव्यांगों को खुद उठने-बैठने, आदान-प्रदान करने और लाइफ की हर ज़रूरी चीज़ों के बारे में बताया जाएगा ताकि वो दूसरों पर निर्भर न रहें। दिव्यांगों को व्हीलचेयर से कहीं आने-जाने और शिथिल अंगों पर मरहम पट्टी करने की पूरी-पूरी जानकारी दी जाएगी।
दिव्यांग इमरान कुरैशी ने सुल्तानपुर के ज्ञानीपुर निवासी शिफाअत उल्ला के घर में 28 जनवरी 1990 में जन्म पाया था। परिजन बताते हैं कि 2007 में जब वह क्लास 11 के स्टूडेंट थे, उस वक़्त उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। काफी जद्दोजहद और इलाज के बाद रोशनी वापस आई तो 2009 का साल उनके लिए बड़ी मुसीबत का साल बनकर आया। हुआ यह कि उनके पैर एकाएक सुन्न होने लगे। घर वाले इलाज के लिए मुम्बई लेकर गए तो डाक्टरों ने बताया कि उनकी बीमारी लाइलाज है और अब वह जिंदगी भर अपने पैरों के सहारे खड़ा नहीं हो पाएगा।
डाक्टरों की दी गई इन्फार्मेशन के बाद पिता के पैर तले ज़मीन खिसक गई। इमरान की आंखों से आंसू छलक उठे। फिर भी जिंदगी जीने के लिए परिजनों ने मुम्बई के पैराप्लेजिक फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे पुनर्वास केंद्र में एडमिशन करा दिया। यहां उन्होंने हौसला मज़बूत करते हुए जिंदगी के सपनों को साकार करने का परिश्रम शुरु कर दिया। देखते ही देखते इमरान व्हीलचेयर पर करतब दिखाने लगे। इसी करतब ने उन्हें हिंदी फिल्म ’हॉलिडे’ में पहुंचा दिया। यहां फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार के साथ फिल्म में काम कर उन्होंने न सिर्फ सभी को चौंका दिया बल्कि ऐसे हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर हौसले मज़बूत हों तो जिंदगी की जंग हर परिस्थिति में जीती जा सकती है।
इमरान ने 2016 पंजाब में पैरा खेलों में भाग लेकर हाथों से तैराकी करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया। इमरान व्हीलचेयर पर बैठकर किसी का स्क्रैच बना सकते हैं। इस कला में उन्होंने 2014 में गुजरात में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अवार्ड हासिल किया था।