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साहेबगंज
पतौड़ा झील में जलीय पक्षियों की संख्या बढ़ी
By Deshwani | Publish Date: 14/2/2017 2:03:27 PM
पतौड़ा झील में जलीय पक्षियों की संख्या बढ़ी

साहेबगंज, (हि.स.)। झारखंड की एक मात्र पक्षी आश्रयणी पतौड़ा झील का प्राकृतिक परिवेश पक्षिओं के प्रवास के अनुकूल है। यहां कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं। पतौड़ा तथा बरहेल झील का जलस्तर भी बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक है। ऐसा मानना है वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ और रांची विश्वविद्यालय के प्रोवीसी रह चुके डॉ एम रजीउद्दीन का।

उन्होंने बताया कि पतौड़ा झील में बीते सात साल से जलीय पक्षियों की गणना की जा रही है। इस बार सबसे बेहतर स्थिति है। छोटा गरुड़ की तादाद में इस वर्ष वृद्धि हुई है। कुछ नए प्रकार के दुर्लभ पक्षियों को इस क्षेत्र में पहली बार देखा गया है। वहीं आईबीसीएन के स्टेट कोर्डिनेटर अरविन्द मिश्र ने बताया कि पतौड़ा तथा बरहेल झील में पानी का स्तर पहले से बेहतर है। लेकिन उधवा नाला के कई हिस्सों में उच्च स्तरीय पुल बनाने के बाद उसके निर्माण सामग्री को बहाव क्षेत्र में छोड़ दिया गया है। जिसे साफ करना जरूरी है। पक्षी गणना के लिए आए सदस्यों ने बताया कि बरहेल झील के मानसिंहा व जोंका में प्रवासी पक्षियों का शिकार किया जा रहा है। यहां कुछ जाल बरामद किया गया था। जिसे आम लोगों के सामने जलाकर नष्ट कर दिया गया है।

एशियन वॉटर बर्ड सेन्सस 2017 के लिए जो टीम यहां सर्वे कर रही है उसमें आईबीसीएन के झारखंड स्टेट समन्वयक सत्य प्रकाश, बिहार स्टेट समन्वयक अरविंद मिश्रा, मन्दार नेचर क्लब भागलपुर के जयनन्दन मंडल, गिरिडीह वन प्रमंडल के रेंजर नन्दकिशोर पटेल एवं आईबीसीएन के सदस्य प्रभात ठाकुर, समरुल शेख के नाम शामिल हैं। टीम ने नाव से पतौड़ा झील एवं इससे सटे बरहेल झील का दौरा कर पक्षियों की गणना की। यहां पक्षियों का आगमन दिसम्बर से मार्च तक होता है। अतिक्रमण के कारण पक्षियों का यह क्षेत्र सिकुड़ रहा है। इससे आने वाले समय में पक्षी विलुप्त हो सकते हैं। अनावश्यक लोगों की संख्या बढ़ने से पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है। 

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