झारखंड
सुहागिनें 25 को करेंगी वट सावित्री की पूजा
By Deshwani | Publish Date: 20/5/2017 11:39:47 AMरांची, (हि.स.)। अखंड सुहाग की कामना के लिए सुहागिनें 25 मई को निर्जला उपवास करेंगी। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी। इस दौरान सुहागिनें वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करेंगी। ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करने पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। इस दिन कथा श्रवण कर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी। वट सावित्री पूजा करने वाली महिलाएं 24 मई को नहाय-खाय करेंगी। फिर दूसरे दिन निर्जला उपवास कर पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना कर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी। पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि वट सावित्री का पूजा महिलाएं किसी भी समय कर सकती हैं, लेकिन दोपहर पूर्व पूजन करना ज्यादा अच्छा माना जाता है।
गौरतलब है कि वातावरण में विद्यमान हानिकारक तत्त्वों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वटवृक्ष का विशेष महत्त्व है। वटवृक्ष के नीचे का छायादार स्थल एकाग्र मन से जप, ध्यान और उपासना के लिए प्राचीन काल से साधकों एवं महापुरुषों का प्रिय स्थल रहा है। यह दीर्घ काल तक अक्षय भी बना रहता है। इसी कारण दीर्घायु, अक्षय सौभाग्य, जीवन में स्थिरता तथा निरन्तर अभ्युदय की प्राप्ति के लिए इसकी आराधना की जाती है। वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श तथा सेवा से पाप दूर होते हैं। दुख, समस्याएं तथा रोग जाते रहते हैं। अतः इस वृक्ष को रोपने से अक्षय पुण्य-संचय होता है। वैशाख आदि पुण्यमासों में इस वृक्ष की जड़ में जल देने से पापों का नाश होता है एवं नाना प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती है। इसी वटवृक्ष के नीचे सती सावित्री ने अपने पातिव्रत्य के बल से यमराज से अपने मृत पति को पुनः जीवित करवा लिया था। तबसे 'वट-सावित्री' नामक व्रत मनाया जाने लगा। इस दिन महिलाएं अपने अखण्ड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए व्रत करती हैं।