रांची, (हि.स.)। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड की पहचान जल, जंगल, जमीन और जलवायु से है। हमें आनेवाली पीढ़ी के लिए इसे बचाना है। अगले दो साल में राज्य के हर क्षेत्र में सिंचाई व पेयजल के लिए पानी पहुंचाने का लक्ष्य हमें हासिल करना है। संथाल परगना इस मामले में अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। जहां नहर से पानी नहीं पहुंचाया जा सकता है, वहां पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने का कार्य करें। पाइपलाइन बिछाने, बैराज बनाने व जल वितरण का नेटवर्क बनाने पर एक साथ काम चलता रहे, ताकि निश्चित समय में लक्ष्य पूरा हो सके।
दास गुरूवार को प्रोजक्ट भवन में जल संसाधन विभाग की कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोगों को योजनाओं से जोड़ें। जहां नहर या पाइपलाइन के लिए जमीन की जरूरत है, वहां सीधे लोगों से बात करें। उनकी समस्या सुनें तथा उसका निपटारा भी करें। बिचौलियों को दूर रखें। इससे काम में तेजी आयेगी और लोगों का विरोध भी नहीं होगा। उन्होंने स्वर्णरेखा मल्टीपरपस प्रोजेक्ट की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिया कि वर्षों पूर्व बनायी गयी वैसी योजना जो उपयोगी नहीं है, को स्थगित करें। बड़े उद्योगों पर बकाया वाटर टैरिफ संबंधित मामला को निष्पादित करें। जिन कम्पनियों ने उद्योग लगाने का कार्य प्रारंभ नही किया है, उन्हें एक माह का नोटिस देकर पानी का आवंटन रद्द करें। जो कम्पनी उद्योग प्रारंभ करना चाह रही है, उन्हें शीघ्र पानी आवंटित करें।
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह ने जानकारी दी कि पिछले दो साल में विभाग का व्यय दोगुणा बढ़ा है। 2013-14 तक जहां औसतन 700 करोड़ रुपये खर्च किये जाते थे, वहीं वर्ष 2016-17 के दौरान 1544 करोड़ रुपये खर्च किये गये। इससे परियोजनाएं तेजी से पूर्ण की जा सकेंगी। बैठक में जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव अमित खरे, उद्योग सचिव सुनील कुमार बर्णवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।