रांची, (हि.स.)। घर की जिम्मेवारी और गरीबी का दंश झेलने के बाद भी कुछ कर गुजरने की चाहत कुछ लोगों में ही देखने को मिलती है। अगर यह बात समाज के कुछ बड़े हस्तियों के साथ जुड़ी हो तो यह आम लोगों के लिए सीख बन जाती है। ऐसी ही कुछ कहानी है झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की। तीन मई 1955 में जन्मे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 28 दिसम्बर 2014 को झारखंड के 10वें मुख्यमंत्री का पद संभाला। दास बुधवार को 62 साल के हो गये है। लेकिन उनका बचपन गरीबी की गोद में और जवानी जिम्मेवारी के अंदर बीता।
उन्होंने परिवार के भरण पोषण के लिए न केवल दिहाड़ी मजदूरी की, बल्कि कोयला बेचने से लेकर इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट की दुकान तक चलायी है। जिंदगी के 62 वर्ष के लम्बे सफर के बाद रघुवर दास आज भले ही कांके रोड स्थित आलीशान भवन सीएम हाउस में रह रहे हो, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब वह जमशेदपुर में एक छोटे से घर में रहा करते थे।
जमशेदपुर में स्टील फर्म में मजदूर के रूप में काम करने वाले एक साधारण परिवार चमन राम के घर 03 मई 1955 को जन्मे रघुवर दास युवावास्था से ही अपने परिवार की जिम्मेवारियों का निर्वहन करने लगे, उन्होंने गरीबी की दंश को खुद झेला है। टाटा कंपनी में दिहाड़ी मजदूर के रूप में उन्होंने करीब 15 साल तक काम किया।
पिता के सेवानिवृत होने के बाद कोयला दुकान और जनता इलेक्ट्रिक शॉप चलाई ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके। इतना ही नहीं उस दौरान उन्होंने जनता इलेक्ट्रिक नाम की एक दुकान भी खोली और ट्यूबलाइट और बल्ब भी बेचा। इसके बाद से उनका रूझान राजनीति की ओर बढ़ा और 1977 में वह जनता पार्टी में शामिल हो गये। धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए वह आज राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन है।
रघुवर दास 1980 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 1995 में पहली बार जमशेदपुर पूर्व से बिहार विधानसभा के सदस्य के चुने गये। 2004 में वह भाजपा के राज्य अध्यक्ष नियुक्त हुए। 2005 में एनडीए सरकार के दौरान उन्होंने वित्त, शहरी विकास और वाणिज्यिक कर मंत्री के रूप में कार्य किया। वह 2009 में झारखंड के उप मुख्यमंत्री बने और आगे बढ़ते हुए 2014 में झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए फिर से निर्वाचित हुए थे और मुख्यमंत्री बने।