रांची, (हि.स.)। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कल्याण विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि आदिवासी बच्चों को स्किल्ड कर उन्हें रोजगार से जोड़ें। साथ ही लक्ष्य निर्धारित कर 13 अधिसूचित जिलों में आदिवासी बच्चों को रोजगार से जोड़ कर उनके जीवनस्तर को ऊंचा उठाने के लिए काम करें। योजना का आउटपुट तय करें। इन क्षेत्रों में गरीब आदिवासी महिलाओं को गाय दें। इससे उत्पादित दूध को मेघा डेयरी के लिए खरीदें। इससे भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करनेवाले आदिवासियों के जीवनस्तर में सुधार आयेगा। राज्य में दूध की कमी भी काफी हद तक दूर हो सकेगी। दुमका और पश्चिम सिंहभूम में 2000 अति गरीब परिवारों को गरीबी रेखा से ऊंचा उठाने के काम में शिद्दत से जुड़ें।
दास मंगलवार को प्रोजक्ट भवन में कल्याण विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि कल्याण विभाग के कई योजनाओं के बावजूद राज्य में गरीबों के जीवनस्तर में बदलाव नहीं आया है। इसके लिए अपने कार्यशैली में बदलाव करें। पुराने नियमों व परंपराओं को बदलें। जहां जरूरत है नयी व्यवस्था लागू करें। पुरानी घिसी-पिटी योजनाओं को ढोये नहीं। आज की जरूरत के अनुसार योजनाएं बनायें। सही लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे, इसे भी सुनिश्चित करें। जो एनजीओ काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें ब्लैक लिस्टेड करें। जो अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करें। ज्यादा से ज्यादा काम सखी मंडल और पंचायत सचिवालय के माध्यम से करायें। बीएड और डेंटल कॉलेज की छात्रवृत्ति योजना में कुछ गलत लोग भी लाभ ले रहे हैं, इसकी जांच कर दोषियों को दंडित करें।
उन्होंने निर्देश दिया कि राज्य में दो वर्ष के भीतर सभी सरना, मसना, जाहिर स्थान आदि की घेराबंदी का काम पूर्ण करें। घेराबंदी का काम स्थानीय समिति को ही दें। स्कूली बच्चों के लिए साइकिल खरीद की राशि उनके बैंक खाते में चली जाये, इसे सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री शिक्षा ऋण गारंटी योजना के लाभुकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनायें, ताकि बच्चों को बैंक के चक्कर न काटने पड़े। ऑनलाइन पोर्टल से आवेदन देने की सुविधा दें। समय-समय पर इसकी समीक्षा भी करें। बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव अमित खरे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।