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रांची
जेल से भी लालू लगे हुये हैं विपक्ष को पास लाने में
By Deshwani | Publish Date: 14/1/2018 5:15:29 PM
जेल से भी लालू लगे हुये हैं विपक्ष को पास लाने में

रांची ( हि. स.) । चारा घोटाले के एक मामले में यहां जेल में बंद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर झारखंड में विपक्ष की राजनीति का केन्द्र बन रहे हैं। विपक्षी दलों के नेताओं का लालू का कुशल क्षेम जानने के लिए जेल में मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी बहाने भावी राजनीति पर भी चर्चा हो रही है। इसी क्रम में बीते दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय जेल में लालू से मिले थे। सहाय के करीबी सूत्रों के अनुसार लालू ने भाजपा के खिलाफ साझा मोर्चा बनाने के लिये कांग्रेस को पहल करने को कहा है। दरअसल झारखंड में विपक्ष की एकता के लिये लालू पहले से ही प्रयासरत हैं। चारा घेटाले के विभिन्न मामलों में पेशी और गवाही को लेकर लालू पिछले कुछ महीनों से लगातार रांची आ रहे थे। इस दौरान वे कांग्रेस, झामुमो और झाविमो सहित अन्य गैर भाजपा दलों के नेताओं से बातचीत कर विपक्षी एका का प्रयास करते थे। इसमें उन्हें बहुत हद तक सफलता भी मिली थी।

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी को नजदीक लाने में लालू की प्रमुख भूमिका रही है। झारखंड में विपक्ष की एकता में ये दोनों ही सबसे बडे बाधक रहे हैं। बाबूलाल के करीबी सूत्रों ने बताया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए ) के सभी घटक दल साझा चुनावी रणनीति बनाने के पक्ष में हैं। लालू के रांची में रहने से झामुमो और झाविमो की गतिविधियां भी बढी हैं। इनके नेता झारखंड और बिहार के राजद नेताओं के सम्पर्क में हैं। इस बीच कांग्रेस के साथ बाबूलाल की नजदीकियां बढी हैं । कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ उनकी बातचीत हुइ है । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी वह हाल ही में मिल चुके हैं।

लालू पहले से ही कांग्रेस के करीब हैं। बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद भी कांग्रेस राजद के साथ है। झारखंड में राजद की स्थिति अच्छी नहीं है। यही वजह है कि लालू ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय को झारख्ंड में यूपीए के घटक दलों को एक मंच पर लाने के लिये पहल करने को कहा है। सहाय मिलनसार और सक्रिय नेता हैं। सभी दलों के नेताओं से उनके अच्छे संबंध रहे हैं। पूर्व में कई मौकों पर प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को वह एक मंच पर ला चुके हैं। जेल में लालू की सबसे बडी परेशानी यह है कि उनसे लोगों के मिलने नहीं दिया जाता है। जेल मैनुअल का हवाला देकर सुरक्षाकर्मी सप्ताह में केवल तीन व्यक्तियों को ही उनसे मिलने की अनुमति देते हैं। इसीलिये लालू मिलने आने वाले लोगों के जरिये ही अपना राजनीतिक संदेश बाहर भेज रहे हैं।

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