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झारखंड
नृत्य-संगीत हमारी सांस्कृतिक पहचान : सीएम
By Deshwani | Publish Date: 29/3/2017 4:43:09 PM
नृत्य-संगीत हमारी सांस्कृतिक पहचान : सीएम

रांची । मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि नृत्य-संगीत हमारी संस्कृति की पहचान है। सरकार हर गांव में अखाड़ा बनायेगी। यहां लोग न केवल अपनी संस्कृति की पहचान बरकरार रख सकेंगे बल्कि मनोरंजन भी कर पायेंगे। दास बुधवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग में आयोजित सरहुल मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष यहां प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जायेगा। इसके बाद पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर प्रतियोगिता होगी। इनमें चयनित कलाकारों को जनजातीय संस्कृति मेला के नाम से मोरहाबादी में तीन दिन की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया जायेगा। इस मेला के आयोजन से हमारी संस्कृति की पहचान पूरी दुनिया में हो सकेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया आदिवासी संस्कृति, उनकी परम्परा, रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, लोक-कला, लोक-गीत एवं लोक-नृत्य इत्यादि के विषय में जानना चाहती है। इसमें शोध संस्थान व तीन दिवसीय जनजातीय संस्कृति मेला अहम भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि मेले के आयोजन से टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज ने राज्य को विकसित करने के लिए काफी खून पसीना बहाया है।

 आजादी के 70 वर्ष के बाद भी गांव की दशा नहीं सुधरी है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है। 2014 में हमारी सरकार के आने के बाद हमने गांव की दशा सुधारने का प्रण किया है। गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाना और उनके चेहरे पर मुस्कान लाना उनके जीवन का लक्ष्य है। अब बिचौलिये और दलालों की राज्य में जगह नहीं है। पढ़े लिखे छात्र अपने गांव को समय दें। वहां लोगों को जागरूक करें। छोटे-छोटे काम से बड़ा बदलाव आ सकता है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्व-त्योहार संस्कृति के स्तम्भ होते हैं। ये जोड़ने का कार्य करते हैं। हम पर्व-त्योहार इस तरह मनाएं कि पहरा की आवश्यकता नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि विकास के लिए शोध जरूरी है। हमारे यहां शोध पर खर्च करने की परंपरा कम रही है। हमारी सरकार ने शोध की महत्त्व को देखते हुए शोध संस्थानों को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाये हैं। शोध करके न केवल हम अपने अतीत के बारे में जान सकते हैं बल्कि भविष्य की भी तैयारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शोध करने के लिए छात्र दूसरे राज्य जाना चाहें, तो सरकार उनकी मदद करेगी। कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.य रमेश कुमार पाण्डेय, डॉ. हरि उरांव, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. टीएन साहु समेत अनेक प्राध्यापकगण, शोधार्थी व बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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