रांची, (हि.स.)। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व से विश्व आदिवासी दिवस जुड़ा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने लगभग 20 वर्षों के मंथन के बाद विश्व के सभी आदिवासी, आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष नौ अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है।
फूलचंद तिर्की बुधवार को विश्व आदिवासी दिवस पर समिति द्वारा रांची विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस दिन को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने दिसम्बर 1994 में की थी। नौ अगस्त को ही इस दिन को चुनने के पीछे यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडीजीनियस पापुलेशन की पहली बैठक नौ अगस्त 1982 को हुई थी, इसलिए नौ अगस्त को यूएन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है। मौके पर समिति के कार्यकारी अध्यक्ष बबलू मुंडा ने राज्य सरकार से मांग किया कि नौ अगस्त को राज्य सरकार अवकाश घोषित किया जाए।
उन्होंने बताया कि समिति की मांगों में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड देने, पेसा कानून को लागू करने, सरना मसना की घेराबंदी करने, परम्परागत ग्रामसभा लागू करने, जाति प्रमाण पत्र में सरना कॉलम जोड़ने सहित अन्य मांग शामिल हैं। वहीं इसके पूर्व समिति द्वारा आदिवासी समुदाय के पारंपरिक वेश भूषा में जुलूस भी निकाला गया। इस अवसर पर डब्लु मुंडा, कृष्णाकांत टोप्पो, संजय तिर्की, संदीप उरांव, नरेश पहान सहित अन्य लोग उपस्थित थे।