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सैकड़ों गवाहों से जुड़े चारा घोटाले का निष्पादन क्या नौ महीने में सम्भव है?
By Deshwani | Publish Date: 10/7/2017 7:31:43 PM
सैकड़ों गवाहों से जुड़े चारा घोटाले का निष्पादन क्या नौ महीने में सम्भव है?

रांची,  (हि.स.)। राजनेता,अधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत से खजाने से लूट का परिणाम है चारा घोटाला। पशुपालन विभाग के बजट से अधिक की वर्षों तक निकासी होने का नतीजा है 950 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला। स्कूटर-मोटर साइकिल से मवेशियों और चारा की ढुलाई से लेकर फर्जीवाड़ा के सैकड़ों दस्तावेज और भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा में बनाये रखने और मनपंसद स्थानों पर टिकाये रखने के लिए राजनेताओं के बीच होड़ के कारण घोटाले की साजिश के आरोप में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र, जगदीश शर्मा, राजो सिंह, ध्रुवभगत, आर के राणा सरीखे छह मुकदमे के अभियुक्त बने। 

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद गत दो माह के भीतर चारा घोटाले के मुख्य अभियुक्त राजद प्रमुख लालू यादव सीबीआई की विशेष अदालत रांची का कई बार चक्कर लगा चुके है और मंगलवार को फिर उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत में पेशी होना है। एक मामले में निचली अदालत से सजा होने के आधार पर इन नेताओं ने संविधान और सीआरपी के हवाले झारखंड हाईकोर्ट से गुहार लगायी थी कि एक ही अपराध में दो बार सजा और दो बार ट्रायल नहीं हो सकता। उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में साजिश के मामले में इन नेताओं को राहत दी। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को न सिर्फ पलट दिया साथ में फैसला देने वाले जज राकेश रंजन प्रसाद पर अत्यंत कठोर टिप्पणी की बल्कि सीबीआई की भूमिका पर भी सवाल उठाया। 
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में चारा घोटाले में साजिश से संबंधित झारखंड में चार मामलों का नौ माह में सुनवाई कर निष्पादन करने का आदेश जारी कर लालू की मुश्किल बढ़ा दी। एक मामला पटना की सीबीआई अदालत में है। अब यह लाख टके का सवाल है कि सैकड़ों गवाह से जुड़े चारा घोटाले के साजिश का निष्पादन क्या नौ महीने में सम्भव है? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब तक दो माह निकल चुके हैं। अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला का आगे क्या प्रभाव होनेवाला है। मामले में सैकड़ों गवाहों की सुनवाई और जिरह का दौर चल रहा है। साजिश केआरसी 20 (ए)/96 (चाईबासा कोषागार) से 37.70 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में लालू-जगन्नाथ दोषी करार दिए गए हैं । 30 सितम्बर 2013 को सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद को 5 वर्षों की सजा एवम 4 लाख रुपये जुर्माना तथा जगन्नाथ मिश्रा को 4 वर्षों की सजा और 2 लाख रुपये जुर्माना की सजा दी थी। 
ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा के 2019 के चुनाव तक चारा घोटाला के आरोपी राजनेता विशेष रूप से लालू प्रसाद को अपने कुनबे और महागठबंधन के लिए भाजपा के खिलाफ अभियान छेड़ने का शायद ही अवसर मिल पायेगा। वहीं दूसरी ओर चारा घोटाला मामले के बीच लालू प्रसाद यादव का परिवार हर तरफ से घिर चुका है। लालू के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई केस दर्ज कर चुकी है। तो वहीं दिल्ली में लालू की बेटी और दामाद के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा है। ईडी की टीम लालू के दामाद शैलेश को अपने साथ ले गई। इसी बीच बिहार के सियासी गलियारे में तेजस्वी को हटाने की मांग तेज हो गई है। 
पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने रांची में हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 20(2) और सीआरपीसी की धारा 300 की अनदेखी की है। इसमें स्पष्ट प्रावधान है कि एक अपराध में न दो बार सजा हो सकती है और न मामले को दो बार ट्रायल हो सकता है। उनका कहना है कि उनके एक सिफारिश पत्र को आधार बनाकर साजिश में शामिल होने का आरोप लगा है। इसके आधार पर निचली अदालत से एक मामले में सजा सुनायी जा चुकी है ऐसे में उसी पत्र के आधार पर दूसरे मामले की फिर सुनवायी होगी और सजा देने पर विचार होगा, यह उनके साथ अन्याय होगा । उन्होंने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की है और यह अनुरोध किया है कि मेरे मामले में सीआरपीसी की धारा 300 के प्रावधान मौजूद हैं। 
लालू पर दर्ज चारा घोटाले के ये हैं लम्बित मामले
कांड संख्या- कोषागार- फर्जी निकासी की राशि कुल गवाह
1.आरसी 20 ए 96- चाईबासा- 37.70 करोड़- 590
2.आरसी 38 ए 96-चाईबासा- 37.68 करोड़ 345
3.आरसी 47 ए 96-डोरंडा- 184 करोड़ 804
4.आरसी 64 ए 96-दुमका- 3.47 करोड़ 269
5. आरसी ए 96-देवघर 97 करोड 287 ।
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