ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
झारखंड
विरोधियों के निशाने पर हैं मुख्यमंत्री रघुवर दास
By Deshwani | Publish Date: 10/6/2017 5:21:34 PM
विरोधियों के निशाने पर हैं मुख्यमंत्री रघुवर दास

रांची, (हि.स.)। छोटानागपुर-संथाल परगना काश्तकारी कानून (सीएनटी-एसपीटी) में संशोधन के विरोध में झारंखड में आदिवासी संगठनों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। इस मुद्दे पर धरना, प्रदर्शन और रैलियों का सिलसिला लगातार जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को बिरसा मुंडा उलगुलान मंच की ओर से बिना किसी पूर्व सूचना के विशाल रैली निकाली गयी। मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस रैली में जा रहे लोग परम्परिक हथियारों से लैस थे। इन लोगों ने रास्ते में जमकर उत्पात मचाया। भाजपा के प्रदेश कार्यालय पर पथराव किया और दीवार पर लगे होर्डिंग व पोस्टरों को फाड़ दिया। प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे। 

 
सीएनटी-एसपीटी के मुद्दे पर इसके पूर्व भी प्रदर्शन हुए हैं और रैलियां भी निकाली गयी है। लेकिन प्रशासन को उनकी पूर्व सूचना थी और वे मोटे तौर पर शांतिपूर्ण रही हैं। आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पिछले माह कई आदिवासी संगठनों ने उक्त कानूनों में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ रैली निकाली थी। इन सबके निशाने पर रघुवर सरकार थी। पूर्व सांसद सलखन मुर्मू ने आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से पिछले माह जिस रैली का आयोजन किया था उसका नाम ही सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ रैली था। उस रैली को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया था। 
नीतीश ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर झारखंड सरकार पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि गैर आदिवासी को ही यहां मुख्यमंत्री बनाना था तो फिर झारखंड अलग राज्य की क्या जरूरत थी। अब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी कह रहे है कि झारखंड में आदिवासी ही मुख्यमंत्री होना चाहिए। लालू ने यह भी कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए। इससे यहां के आदिवासी हाशिये पर चले जायेंगे। सीएनटी-एसपीटी के मुद्दे पर झारखंड की सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हैं। ईसाई मिशनरियों को भी इस मुद्दे को लेकर आदिवासियों की चिंता सताने लगी है। कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो एक्ट में संशोधन के विरोध में खुलकर सामने आ चुके हैं। उनके नेतृत्व में रोमन कैथोलिक चर्च के झारखंड के आदिवासी बिशपों का एक प्रतिनिधि मंडल एक्ट में प्रस्तावित संशोधन रोकने के लिए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मिल चुका है। 
राज्य में सत्तारुढ़ भाजपा के लिए परेशानी की बात यह भी है कि सरकार में शामिल आजसू पार्टी भी इसका विरोध कर रही है। यही नहीं भाजपा के अन्दर भी दबे स्वर में कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा तो कई मौके पर इस मुद्दे को उठा चुके है और एक्ट में संशोधन पर पुनर्विचार करने की जरूरत बता रहे हैं। झारखंड के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जमीन संबंधी इन दोनों कानून को लेकर चल रहा राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है। प्रदेश की पूरी राजनीति इसके समर्थन और विरोध में केंद्रित होती जा रही है। पर तमाम राजनीतिक विरोधों के बावजूद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब इस पर पुनर्विचार नहीं करेंगे। भाजपा का बड़ा तबका एक्ट में संशोधन के पक्ष में है।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS