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बजट : 790 करोड़ रुपये आवंटित, दिल्ली के लिए कुछ नहीं : दिल्ली सरकार
By Deshwani | Publish Date: 1/2/2018 7:36:52 PMनई दिल्ली (हि.स.)। केंद्र की मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में दिल्ली को साल 2018-19 के लिए 790 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। पिछले बजट में दिल्ली सरकार के लिए आवंटन 757.99 करोड़ रुपये था। इसे दिल्ली सरकार ने केंद्र का सौतेला व्यवहार करार दिया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा गुरूवार को पेश 2018-19 के आम बजट में दिल्ली सरकार को 449.99 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता का प्रस्ताव किया गया है। दिल्ली सरकार के लिए पिछले साल केंद्रीय सहायता 412.98 करोड़ रुपये रही थी। केंद्रीय करों और शुल्कों में दिल्ली के हिस्से में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है| हालांकि आप सरकार ने इसमें वृद्धि की मांग की थी।
वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में दिल्ली सरकार को 1984 के दंगा पीड़ितों को बढ़ा हुआ मुआवजा प्रदान करने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए हैं। 2017-18 के बजट में यह राशि 15 करोड़ रुपये थी। इसके अलावा दिल्ली आपदा प्रतिक्रिया कोष के लिए आवंटन को 5 करोड़ रुपये पर ही कायम रखा गया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्रीय करों और शुल्कों में बढ़ोतरी की मांग की थी। उसका कहना है कि केंद्रीय करों में दिल्ली का हिस्सा 2001-02 से 325 करोड़ रुपये पर ही कायम है।
बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि, वह केंद्रीय बजट से निराश हैं| भाजपानीत केंद्र सरकार ने 'दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार' जारी रखा है। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘मैंने राष्ट्रीय राजधानी में कुछ आधारभूत परियोजनाओं के लिए कुछ वित्तीय सहायता की उम्मीद की थी। मैं बहुत निराश हूं कि केंद्र ने दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार जारी रखा है।‘
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय करों और शुल्कों में दिल्ली की हिस्सेदारी न बढ़ाने पर नाखुशी जताई है। सिसोदिया ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों को ‘दोयम दर्जे का नागरिक’ समझती है।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली पुलिस के लिए किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है। साथ ही दिल्ली में प्रदूषण से मुकाबला करने की खातिर 2000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए विशेष पैकेज की मांग पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में जमीन का मामला केंद्र सरकार के अधीन आता है, लेकिन अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण को लेकर किसी योजना की घोषणा नहीं की गई है। साथ ही क्लीनिक, स्कूल, अस्पताल और बस डिपो बनाने के लिए दिल्ली सरकार को और जमीन देने के बारे में भी कोई घोषणा नहीं की गई।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्रीय कर में 2001-02 के बाद से दिल्ली के शेयर में एक रुपये का भी इजाफा नहीं किया गया है। यह 325 करोड़ रुपये पर रुका हुआ है। ऐसा व्यवहार भारत में किसी भी राज्य के साथ नहीं किया गया है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली के लोगों के साथ द्वितीय श्रेणी के नागरिक की तरह व्यवहार कर रही है।