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सद्गुरु के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा: बहन स्याणी
By Deshwani | Publish Date: 28/1/2018 4:30:42 PMदेहरादून (हि.स.)। प्रभु के दिए मनुष्य योनी का मुख्य लक्ष्य प्रभु परमात्मा की प्राप्ति करना है। साधन धाम मोक्ष यानी शरीर एक साधन है। जिसके द्वारा इस मोक्ष के द्वार यानी परमात्मा तक पहुंचने का कारण पूर्ण होता है। जब हमारे जीवन में पूरन सद्गुरू आते हैं। संत निरंकारी भवन में रविवार को सत्संग कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बहन स्याणी ने यह उद्गार व्यक्त किए।
बहन स्याणी ने कहा कि सन्त निरंकारी मिशन कोई प्रचलित धर्म सम्प्रदाय नहीं है। यह एक आध्यात्मिक विचार धारा है, जो एक जाग्रति अवस्था प्रदान करता है कि इंसान समय रहते अपने मूल की पहचान कराता है। उन्होंने कहा कि यह मनुष्य तन का मुख्य लक्ष्य तभी पूरा होता है। जब हम गुरू से ज्ञान की रोशनी लेते हैं। यह उजाला हमें मिलते ही सब एक ही नजर आते हैं। न ही कोई बैरी-बेगाना, पराया वाला भाव समाप्त हो जाता है क्योंकि सभी में एक ही नूर है-चाहे वह नर हो या नारी। निरंकारी मिशन में वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव समाहित है, जहां पर हर वर्ण, आश्रम, रहन, सहन, खानपान, जाति, मजहब, भेद-भाव की दीवारों को गिराकर एक परमात्मा का साक्षात्कार करके एक साथ बैठकर सत्संग करते हैं। यही निरंकारी भक्त की पहचान होती है।
सत्संग समापन से पूर्व अनेकों सन्तों-भक्तों ने गीतों, प्रवचनों, गढ़वाली, नेपाली, हिन्दी, पंजाबी, कुमाउंनी, भाषा का सहारा लेकर समस्त संन्तों को निहाल किया। सेवादल के भाई बहनों ने भी समस्त सेवाओं को सुन्दर रूप दिया। लंगर भी वितरण किया गया। मंच का संचालन शीतल डोला ने किया।