नई दिल्ली, (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली प्रदेश इकाई ने बवाना पटाखा फैक्ट्री हादसे के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का आरोप है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने फरवरी, 2015 में ही फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द कर दिल्ली राज्य औद्योगिक व ढांचा विकास निगम (डीएसआईआईडीसी) को सूचित कर दिया था। डीएसआईआईडीसी चूंकि दिल्ली सरकार के अधीन है इसलिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बताएं कि यह अवैध फैक्ट्री कैसे चल रही थी। पार्टी ने मृतक मजदूरों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा देने की भी मांग की है।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी और उदित राज ने रविवार को यहां पार्टी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार की लापरवाही मूल रूप से बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री आग में श्रमिकों, खासकर बाल मजदूरों की मृत्यु के लिये जिम्मेदार है। लेखी ने कहा कि बवाना औद्योगिक क्षेत्र एक स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्र है जिसकी देखरेख डीएसआईआईडीसी की जिम्मेदारी है। वहां बाल मजदूरी न हो, यह देखना दिल्ली सरकार के श्रम विभाग की जिम्मेदारी है। वहां अनधिकृत पटाखों आदि का निर्माण न हो, यह देखना दिल्ली सरकार के अग्निशमन एवं पर्यावरण विभाग का कार्य है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का दायित्व है कि वह ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले अग्निशमन विभाग के कर्मियों के लिये विशेष अग्निरोधी ड्रेस, यंत्र एवं विशेष केमिकल फॉर्मेशन उपलब्ध करायें जो कि कल वहां नहीं थे। साथ ही ऐसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध होनी चाहिये जो कि महर्षि अस्पताल में उपलब्ध नहीं थीं।
उदित राज ने कहा कि अस्पतालों में देखने को मिला कि ऐसी आग से उत्पन्न आपातकाल स्थिति के मरीजों की देखरेख की वहां कोई सुविधायें नहीं थी, न ही पूरी दवायें थीं। हाँ, डॉक्टरर जरूर पूरी जिम्मेदारी से काम करने की कोशिश कर रहे थे।
उत्तरी दिल्ली की महापौर प्रीति अग्रवाल ने कहा कि यह दुखद है कि मुख्यमंत्री अपनी अक्षमता को छुपाने के लिये असंवेदनशील ट्वीटबाज़ी में लगे रहे। उन्होंने कहा कि एमसीडी 2015 के प्रारम्भ में ही मूल लाइसेंस रद्द करके डीएसआईआईडीसी को सूचित कर चुका था। उसके बाद फैक्ट्री अवैध रूप से चल रही थी, उसको रोकना डीएसआईआईडीसी के कार्यक्षेत्र में आता है।