देवास, (हि.स.)। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना से गैस कनेक्शन प्राप्त कर महिलाओं की जिंदगी बदल रही है। जिले की महिलाएं जो भोजन पकाने के लिए एलपीजी गैस के लिए तरसा करती थीं। उनका विश्वास था कि खाना बनाने के लिए एल.पी.जी.गैस अच्छी है। मगर उनके पास इतना पैसा नहीं था, जो गैस कनेक्शन, चूल्हा एवं सिलेंडर खरीद पातीं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में इन महिलाओं को ना सिर्फ मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए बल्कि उन्हें गैस चूल्हे एवं सिलेंडर भी मुहैया कराए गए। अब इन इलाकों की तकदीर ही नहीं तस्वीर भी बदली-बदली-सी नजर आ रही है। इन्हें पाकर ये महिलाएं प्रसन्न नजर आ रही है।
ग्राम चंदाना की 50 वर्षीय शंकुतला बाई सिसोदिया ने बताया कि वह खजूर की डालियों से झाड़ू बनाने का काम करती है। उन झाड़ू बनाने की लकडिय़ों और छिलको जलाकर खाना पकाती थी, जिससे उसके पूरे घर में धुआं होता था और उसकी आंखों में जलन एवं खांसी लगातार चलती थी। उसे एवं अन्य महिलाओं को जब शासन की उज्जवला योजना का पता चला तो उसने इसके लिए आवेदन दिया और उसे उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिला। उन्होंने बताया कि दिनभर में करीब 20 झाड़ू ही बना पाती थी, उससे ही अपना गुजर बसर करती थी। लेकिन अब गैस चुल्हा पर खाना बनाने में कम समय लगता है और लकडिय़ां बिनने भी बाहर नहीं जाना पड़ता, जिसके कारण समय की बचत होती हे। उस बचे हुए समय में झाड़ू भी ज्यादा बन रही है। एक दिन में करीब 30 से 40 झाड़ू बना लेती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है।
खाने बनाने में लगता है कम समय
शंकुतलाबाई बताती हैं कि योजना के तहत जब उसे गैस कनेक्शन, चूल्हा एवं टंकी प्रदान किया तो वह और उसका परिवार बहुत हर्षित हुआ। पहले दिन जब सभी ने गैस के चूल्हे पर बना खाना खाया तो सबने आनंद का अनुभव किया। वे पहले जबचूल्हे पर खाना बनाती थी तो धुएं के कारण पूरा घर काला हो जाता था और धुएं से आंखों में जलन और खांसी लगातार चलती थी। लेकिन गैस कनेक्शन प्राप्त होने के बाद अब खाना बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता है। उन्होंने बताया कि उन्हें गैस कनेक्शन प्राप्त होने के बाद जंगल में लकड़ी लेने के लिए नहीं जाना पड़ता है।
खांसते-खांसते होता था बुरा हाल
मुकंदखेड़ी की ताराबाई ने बताया कि बरसात में लकडिय़ां गीली होने से धुआं बहुत परेशान करता था। आंखों से आंसू और खांसते-खांसते बुरा हाल हो जाता था। कभी-कभी तो खाना ही नहीं बन पाता था। मुकंदखेड़ी की ही रूकमा बाई ने बताया कि लकडिय़ों एवं कंडों से खाना बनाना महंगा पड़ता था। धुंए से मकान काला पड़ गया था। मेहमान आने से ज्यादा परेशान होती थी। मुफ्त में मिले गैस कनेक्शन एवं चूल्हे से अब झट से खाना बन जाता है। टोंकखुर्द की जसोदाबाई ने बताती है कि लकडिय़ों से निकले धुंए से कम दिखाई देने लगा है। इन्हें गैस कनेक्शन ने राहत दी है।
सभी के हालात बदले हैं
अब एल.पी.जी.गैस पर खाना बना रही सभी हितग्राही महिलाओं का कहना है कि रसोई में गैस और सिलेंडर ने चूल्हे का स्थान ले लिया है। इससे खाना आसानी से बन जाता है और बर्तन भी काले नहीं होते। बीमारी होने का खतरा भी अब नहीं है। पहले लकडिय़ां रोटियों पर धुआं उगल देती थीं, तो उसकी कड़वाहट से कोई रोटियां नहीं खाता था। अब हालात बदल गए हैं। गैस कनेक्शन के बाद धुएं से निजात तो मिली है। साथ ही साथ घर भी काला नहीं होता और ना ही बर्तन काले होते हैं तथा अब वे ज्यादा से ज्यादा घर काम निपटा लेती है।
47 हजार 927 को दिए गैस कनेक्शन
उज्जवला योजना के तहत जिले में 59 हजार 700 हितग्राहियों ने आवेदन दिए हैं, जिसमें से 47 हजार 927 हितग्राहियों को उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। उज्ज्वला योजना के अस्तित्व में आने से गरीब तबके की महिलाओं को बीमारी होने के खतरे से निजात मिली है। अब तक ज्यादा समय चूल्हा-चक्की में गुजारने वाली इन महिलाओं को नई भूमिका मिली है।
आसानी से उपलब्ध करवा रहे हैं सिलेंडर
जय भारत गैस एजेंसी संचालक प्रशांत विजयवर्गीय ने बताया कि योजना के तहत एजेंसी द्वारा शिविर लगाकर 200 कनेक्शन दिए हैं, जिसमें से ग्राम चंदाना की 30 जरूरतमंद ग्रहणियों गैस कनेक्शन दिए हैं। सभी को आसानी से घर पर ही गैस सिलेंडर उपल्ध करवाए जा रहे है। गांव से सरपंच पवनसिंह एवं सचिव राधेश्याम जायसवाल ने बताया कि हितग्राही महिलाओं को नि:शुक्ल गैस कनेक्शन दिए गए हैं। अब उन्हें जंगल से लकड़ी बिनाने तथा धुएं जैसी समस्या से निजात मिल रही है।