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लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज को एम्स की तर्ज पर बनाने की तैयारी
By Deshwani | Publish Date: 16/1/2018 11:37:45 AM
लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज को एम्स की तर्ज पर बनाने की तैयारी

मेरठ,(हि.स.)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज (एलएलआरएम) में जल्दी ही मरीजों को एम्स की तर्ज पर इलाज मिलेगा। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मेडिकल कॉलेज को सुपरस्पेशिलिटी दर्जा देने के लिए 150 करोड़ रुपये की रकम खर्च की जा रही है। इससे मरीजों को आधुनिक तकनीक की सहायता से उपचार उपलब्ध होगा।
मेरठ में मेडिकल काॅलेज की स्थापना 1966 में पूर्व शिक्षा मंत्री एवं पूर्व सांसद कैलाश प्रकाश और संस्थापक प्रधानाचार्य डाॅ. जीएस त्यागी की अगुवाई में हुई थी। इसके बाद एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए चिकित्सा का बड़ा केंद्र बन गया है। इस मेडिकल काॅलेज में हर साल मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, मुजफ्फनगर, सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, रामपुर, गाजियाबाद और मुरादाबाद आदि जनपदों के लाखों मरीज उपचार के लिए आते हैं। इसी कारण इस मेडिकल कॉलेज को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की मांग वर्षों से चली आ रही थी।
मेडिकल काॅलेज को सीधे एम्स का दर्जा ना देकर प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सुपरस्पेशिलिटी हब के रूप में विकसित करने के लिए 150 करोड़ रुपये जारी किए गए। 150 करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल काॅलेज परिसर में ही नया सुपरस्पेशिलिटी ब्लाॅक बनाया जा रहा है। इसके निर्माण का जिम्मा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के पास है। इस ब्लाॅक में सात आॅपरेशन थिएटर, एक कार्डियक लैब, 40 बैड की आईसीयू यूनिट, कैंसर रेडिएशन चिकित्सा के लिए लीनियर एक्सलरेटर, नेफ्रोलाॅजी यूनिट, न्यूरोसर्जरी यूनिट, प्लास्टिक सर्जरी यूनिट, बर्न यूनिट, पीडियाट्रिक सर्जरी जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद होंगी। इमरजेंसी यूनिट में पोर्टेबल सीटी स्कैन की सुविधा भी मरीजों के लिए होगी।
अभी तक मेडिकल काॅलेज के लिए बजट जारी करने में प्रदेश सरकार के स्तर से हीलाहवाली होती थी। इस कारण प्रत्येक वर्ष मरीजों को दवाओं के लिए परेशान होना पड़ता था। सरकार से बजट नहीं मिलने के कारण अक्सर दवाएं खत्म हो जाती थी। अब सुपरस्पेशिलिटी ब्लाॅक बनने से मरीजों को दवाओं के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
150 करोड़ रुपये की लागत से मेडिकल काॅलेज को एम्स सरीखा लुक तो दिया जा रहा है, लेकिन मेडिकल काॅलेज में डाॅक्टरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनेगी। पिछले कुछ सालों में मेडिकल काॅलेज से कई प्रतिभावान डाॅक्टर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। ईएनटी स्पेशलिस्ट डाॅ मनु मल्होत्रा, एनेस्थीसिया एवं पेन स्पेशलिस्ट डाॅ अनुराग अग्रवाल, ईएनटी स्पेशलिस्ट डाॅ. जितेंद्र यादव, बाल रोग विभागाध्यक्ष डाॅ. अमित उपाध्याय, नेत्र रोग विशेषज्ञ डाॅ. प्रियांक गर्ग आदि नौकरी छोड़कर जा चुके हैं। ह्दय रोग विशेषज्ञ डाॅ. जीके अनेजा अपर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा बनकर लखनऊ जा चुके हैं। इसी तरह से प्रधानाचार्य और मेटाबाॅलिज्म एक्सपर्ट डाॅ केके गुप्ता भी महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा बन चुके हैं। गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ. अरविंद त्रिवेदी सहारनपुर मेडिकल काॅलेज के प्रधानाचार्य बनाए गए हैं। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डाॅ प्रदीप भारती गुप्ता यहां से देहरादून मेडिकल काॅलेज में प्रधानाचार्य बन चुके हैं। इन विशेषज्ञ और चिकित्सकों के जाने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अब सुपरस्पेशिलिटी ब्लाॅक के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को तलाशना और एमसीआई के मानक पूरे करना एक बड़ी चुनौती होगी।
मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल डाॅ एसके गर्ग का कहना है कि मेडिकल काॅलेज में मरीजों को जल्दी ही अत्याधुनिक तकनीक से उपचार मिलने लगेगा। बर्न, न्यूरो, पीडियाट्रिक, कैंसर, हार्ट, गुर्दा रोग आदि जटिल बीमारियों से निपटने में यहां के डाॅक्टर सक्षम होंगे।
प्यारेलाल शर्मा मंडलीय जिला चिकित्सालय को भी शासन ने हाईटेक बनाने की तैयारी तेज कर दी है। मरीजों को अपनी रिपोर्ट और डाॅक्टरों की उपलब्धता भी आॅनलाइन पता चल सकेगी। जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डाॅ पीके बंसल का कहना है कि डायलिसिस यूनिट के बाद अब मरीजों को एमआरआई की सुविधा मिलेगी। डीएनबी कोर्स भी शुरू किया जाएगा। विशेषज्ञ डाॅक्टरों की कमी पूरी करने के लिए टेलीमेडिसिन सेवा के जरिए एम्स और पीजीआई के डाॅक्टरों से मरीजों को परामर्श दिलाया जाएगा। सीएमओ डाॅ राजकुमार का कहना है कि मेरठ में स्वास्थ्य सुविधाओं की सूरत बदल जाएगी। महिला जिला अस्पताल में भी 35 करोड़ रुपये की लागत से 100 बैड की सुपरस्पेशिलिटी सुविधा शुरू होगी। इसका लाभ हजारों रोगियों को मिलेगा।
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