संरक्षण के अभाव में ध्वस्त हो रहीं धर्म नगरी चित्रकूट की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरेें
चित्रकूट, (हि.स.)। केंद्र और प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता के कारण धर्म नगरी चित्रकूट की प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरें जर्जर होकर ध्वस्त होने की कगार पर हैं। पुरातत्व विभाग की गतिविधियां महज ऐतिहासिक धरोहरों पर केवल बोर्ड लगाने तक सीमित रह गई हैं।
विश्व की प्राचीन और ऐतिहासिक नगरों में शामिल भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट की प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरे पुरातत्व और पर्यटन विभाग की उपेक्षा के चलते जर्जर होकर ध्वस्त होने की कगार पर हैं। मिनी खजुराहो के नाम से चर्चित गणेश बाग, मडफा किला, सोमनाथ मंदिर, सुर्की साम्राज्य और मराठा राजाओं का किला के अलावा अन्य प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरे मौजूद हैं, जो दिन प्रतिदिन जर्जर होकर ध्वस्त होते जा रहे हैं। जिम्मेदार विभागों द्वारा बरती जा रही ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के प्रति बरती जा रही लापरवाही और उदासीनता के चलते प्राचीन धरोहर का अस्तित्व खतरे में है।
पुरातत्व विभाग द्वारा प्रत्येक किले व अन्य दर्जनों ऐतिहासिक धरोहरों पर केवल संरक्षित इमारत होने का बोर्ड लगाकर औपचारिकता पूरी की जाती है। इन स्थानों का न तो जीर्णोद्धार कराया जाता और न ही गिरे हुये हिस्से को पुनः बनवाया गया, जिससे प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरे दिन प्रतिदिन धराशायी होती जा रही हैं। इतिहासकार रमेश चौरसिया का कहना है कि जनपद के कस्बा भरतकूप से 12 किमी दूर ग्राम मानपुर पर्वत पर स्थित मडफा किले में भगवान शिव के पंचमुखी स्वरूप के साथ सालिगराम पत्थर की मूर्ति के रूप में विद्यमान है। भगवान पंचमुखी शिवस्वरूप के दर्शन करने से पापों तापों का समन होता है। उन्होंने बताया कि माण्डप ऋषि की इस तपोस्थली में महाराज दुष्यंत की पत्नी शकुन्तला ने पुत्र भरत को जन्म दिया था। इसी किले में कई कुण्ड भी है। एक कुण्ड में स्नान करने से चर्मरोग के साथ कुष्ट रोग भी ठीक हो जाता है।
धर्म नगरी चित्रकूट के 84 कोस परिक्षेत्र में स्थित मडफा अद्वितीय धार्मिक स्थल है। चहुंओर विध्य पर्वत की वादियां अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसके अलावा चित्रकूट के सोनपुर गांव के समीप मराठा शासकों द्वारा बनवाया गया गणेश बाग़,कोठी तालाब,गोल तालाब,पुरानी कोतवाली का किला के साथ-साथ सुर्की शासकों द्वारा तरौहां में बनवाया गया किला भी संरक्षण के अभाव में ध्वस्त होता जा रहा है।
इसके अलावा गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर चंदेल शासकों द्वारा चर गांव में बनवाया गया सोमनाथ का प्राचीन मंदिर भी पूरी तरह धवस्त होने की कगार है। इन धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने से तमाम अराजक तत्व पुराने छुपे खजाने को हासिल करने की चाहत में जहां मूर्तियों को खंडित कर चुके हैं, वहीं धरोहरों में खुदाई कर चुके हैं। वहीं इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी शिवाकांत दिवेदी का कहना है कि चित्रकूट की ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरों के सरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व और पर्यटन विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है।