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तनाव में आकर अपनी ही जान ले रहे हैं प्रदेश के पुलिसकर्मी, सरकार की नींद हराम
By Deshwani | Publish Date: 11/1/2018 12:00:37 PM
तनाव में आकर अपनी ही जान ले रहे हैं प्रदेश के पुलिसकर्मी, सरकार की नींद हराम

भोपाल, (ह‍ि.स.)। पुलिसकर्मियों की आत्महत्याओं के मामलों ने राज्य सरकार की नींद उड़ा रखी है। पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) में पुलिस अधिकारियों के साथ सीएम की बैठक इसी का परिणाम थी। इसी के मद्देनजर पीएचक्यू ने आत्महत्या के मामलों को लेकर एक स्टडी करने की प्लानिंग की। इस स्टडी में चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले दो साल में मप्र पुलिस के 27 कर्मचारियों ने आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाया। इनमें ज्यादातर पुलिस कर्मचारी वे थे, जिन्होंने 20 साल की नौकरी पूरी की। यही नहीं स्टडी रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि नौकरी के दौरान बच्चों और परिवार के बारे में न सोच पाने तथा उनके भविष्य की चिंता में घुटकर पुलिसकर्मियों ने मौत को गले लगाया।
आत्महत्या के कारणों के अध्ययन में हुआ खुलासा
रिपोर्ट बताती है कि पीएचक्यू ने एक जनवरी 2016 से 23 दिसंबर 2017 के बीच की अवधि में पुलिसकर्मियों द्वारा की गई आत्महत्याओं के कारण जानने के लिए घटनाओं की स्टडी की। आत्महत्या करने वाले पुलिसकर्मी की मनोदशा और उसके जेहन में चलने वाली बातों को उनके परिजनों, दोस्तों से जाना। इसमें पाया गया है कि आत्महत्या करने वाले पांच पुलिसकर्मी ऐसे थे, जिन्हें पुलिस सेवा में आए हुए पांच साल भी पूरे नहीं हुए थे। वहीं पांच से ज्यादा और 20 साल से कम सेवा पूरी करने वाले सात पुलिस वालों ने नशे की लत व बीमारी के कारण मौत का रास्ता चुना।
इन्हें नहीं मिला मनपसंद जीवन साथी
 
20 साल से ज्यादा समय से पुलिस सेवाएं दे रहे कर्मचारियों में आत्महत्या के कारणों में सामने आया कि उनमें किसी को मनपसंद जीवनसाथी नहीं मिला, तो कोई प्रेम प्रसंग के कारण तनाव में था। इनमें भिंड जिला पुलिस के टीआई से पीडि़त एक हवलदार भी शामिल है। 
मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक सुभाषचंद्र त्रिपाठी का कहना है कि नशा व्यक्ति शौकिया करता है, लेकिन शराबी किसी तनाव को भूलने के लिए ही नशा करता है। तनाव गंभीर बीमारियों का बड़ा कारण है। पुलिसकर्मियों की आत्महत्याओं का मूल कारण तनाव ही सामने आया है। तनाव कम करने के लिए वे नशे का सहारा लेते और उन्हें कई बीमारियां जकड़ लेतीं। अब पुलिस कर्मचारियों की आत्महत्या को रोकने के लिए उनमें तनाव पैदा होने से रोकने की दिशा में काम किया जाना चाहिए। 
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