हमीरपुर, (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में छुट्टा जानवर किसानों के लिये अभिशाप साबित हो रहे हैं। भीषण ठंड के बावजूद किसानों ने इन दिनों फसलों को बचाने के लिये अपना घर छोड़ खेतों में डेरा डाला दिया है। अन्नदाता फसल की रखवाली के लिये रात भर जागता है इसके बावजूद मवेशी खेतों में घुसकर फसलों को चौपट कर देते हैं। सुमेरपुर क्षेत्र में ही कई एकड़ में बोयी गयी फसलें छुट्टा जानवरों ने चट कर दी हैं।
जिले के सुमेरपुर, कुरारा, मौदहा, मुस्करा, बसवारी, गोहांड, टेढ़ा, पचखुरा, भौली, डामर, जलाला, भेड़ी, गुसियारी, बड़ागांव, सुरौली, पारा, रैपुरा, इंगोहटा, कलौलीतीर, मौराकांदर, पौथिया, बजेहटा, सहित दर्जनों गांवों में इन दिनों छुट्टा जानवरों से फसल बचाने के लिये किसान भीषण सर्दी में जद्दोजहद कर रहे हैं। किसानों के सामने सिर्फ यही चिंता है कि छुट्टा जानवरों से फसलें कैसे बचायी जायी। इसके लिये किसानों ने घर छोड़ खेतों में ही डेरा जमा रखा है। रात भर ठंड से ठिठुरते हुये किसान अपनी फसलों की रखवाली करने में जुटा है।
क्षेत्र के ग्राम औंता के किसान अरविन्द्र त्रिपाठी, मुरलीधर, दिवेश चन्द्र, राकेश कुमार, सुरेन्द्र, बालकदास, मकुन्दा, खूबचन्द्र आदि ने बताया कि सूखे की बजह से खेतों में पलेवा करना पड़ा था जिस वजह से फसलों की बुवाई देर से हो पाई थी। जहां एक ओर सूखे की वजह से किसान परेशान चल रहा है वहीं जो थोड़ी बहुत फसल खेतों में दिखाई दे भी रही है उसे ये अन्ना जानवर नष्ट कर रहे हैं। हरे भरे खेतों में कम से कम 50-50 गौवंशीय मवेशियों के झुंड घुस कर फसलों को खाते हैं और पैरों से रौंदकर नष्ट कर देते हैं। बताया कि खेतों पर दिन रात एक व्यक्ति रखवाली के लिये बैठा रहता है फिर भी इन अन्ना जानवरों से फसलों की रक्षा नहीं हो पाती है। यदि गायों को पकड़ कर कहीं बंद भी कर दिया जाये तो उनके चारे पानी की व्यवस्था करना किसान के लिये मुश्किल का सबब बन जाता है।
किसान अन्ना जानवारों पर रोक लगाने के लिये प्रशासन से फरियाद करता है लेकिन इस मामले में प्रशासन भी बेबस नजर आ रहा है। औंता, सरसई, चिल्ली, गल्हिया, तुरना, खरैंहटा, धमना, अकौना सहित तमाम गांवों के किसानों का इन आवारा गायों की वजह से जीना हराम हो गया है। वहीं ग्राम सरसई निवासी दिनेश मिश्रा, भरत कुमार, सुखदेव, विष्णूदत्त, रामअवतार आदि किसानों ने बताया कि वह इन गायों को अपने खेतों से दूर तक भगा आते हैं किन्तु दूसरे गांवों से लोग इन्हें हांकते हुए फिर से वहीं छोड़ जाते हैं और यदि मना किया जाये तो लड़ने पर आमादा हो जाते हैं। कहा कि इससे अच्छा तो यही है कि अपने खेतों पर ही दिन रात रहकर फसलों की रखवाली करते रहें। फिलहाल किसानों को रबि की ही फसल से कुछ उम्मीदें होत हैं और वह इसकी तैयारी भी मेहनत के साथ करता है लेकिन ये आवारा गायें किसानों की मेहनत पर पानी फेरने में लगीं हुईं हैं। खेती से प्राप्त आय पर अपना जीवन यापन करने वाले किसान अन्ना जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट किये जाने पर बेचैनी महसूस कर रहे हैं।