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चारा घोटाले में झारखंड के सीएस पर भी कस रहा शिकंजा
By Deshwani | Publish Date: 7/1/2018 5:58:53 PM
चारा घोटाले में झारखंड के सीएस पर भी कस रहा शिकंजा

रांची, (हि.स.)। चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव के बाद झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर भी शिकंजा कसता जा रहा है। सरकार के मंत्री सरयू राय और विपक्ष के लगातार दबाव के कारण सरकार ने चारा घोटाले से जुडे एक मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को शोकॉज किया है। 15 दिनों में उन्हें यह बताने को कहा गया है कि उन्होंने अब तक इस मामले में क्यों नहीं जवाब दिया।

शोकॉज में राजबाला वर्मा से पू्छा गया है कि 14 जुलाई 2003 की मांगें गये स्पष्टीकरण पर वे अपनी प्रतिक्रिया पत्र प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर उपलब्ध कराएं। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करें, ताकि इस मामले में विधि सम्मत कार्रवाई की जा सके। इसके पूर्व सीबीआई की अनुशंसा के बाद जारी नोटिसों को नजरअंदाज किये जाने के बाद सरकार ने उन्हें अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया है। 

गौरतलब है कि 30 अप्रैल 1990 से 30 दिसंबर 1991 तक राजबाला वर्मा चाईबासा में डीसी थीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने न तो ट्रेजरी का निरीक्षण किया और न ही ट्रेजरी से हुए भुगतान का मासिक लेखा महालेखाकार (एजी) को भेजा। इनके द्वारा ट्रेजरी के कार्यकलापों की निगरानी नहीं की गई। इसके फलस्वरूप गलत तरीके से चाईबासा ट्रेजरी से राशि की निकासी की गई। उल्लेखनीय है कि इस संबंध में 30 रिमाइंडर के बाद भी मुख्य सचिव द्वारा जवाब नहीं दिये जाने का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव को उनसे शोकॉज करने का निर्देश दिया था। 

है। चारा घोटाले में झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा का नाम उछलने के बाद विपक्ष लगतार हमलावर है। राजबाला वर्मा को पद से बर्खास्त किए जाने की मांग विपक्षी पार्टियों द्वारा जोरों से की जा रही है। 
 
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर राजबाला वर्मा को मुख्य सचिव पद से हटाने की मांग की है। मोर्चा के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने लिख है कि एक ओर प्रदेश के दो मुख्य सचिव एके बसु और सजल चक्रवर्ती के खिलाफ कार्रवाई की गई। उन्होंने लिखा है कि चारा घोटाले के दौरान चाईबासा, रांची, देवघर और दुमका के कोषागारों में अनियमितताएं स्पष्ट रूप से सामने आयी। इस कारण तत्कालीन उपायुक्तों की भूमिका की जांच की जा रही है। जांच के बाद राजबाला वर्मा से भी कई बार स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया। लेकिन इस दिशा में कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गयी। 
 
झाविमो के प्रधान महासचिव प्रदीप यादव ने भाजपा को आडे हाथों लेते हुए कहा कि भाजपा चारा घोटाले पर बहुत बोलती है, लेकिन इस मामले पर चुप क्यों है। इस विषय पर तो उसे मुंह खोलना चाहिए। उन्होंने सरकार से मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को अविलंब पद से हटाने तथा विभागीय कार्यवाही चलाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वर्मा पर चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के संबंध में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के पत्रों का जवाब नहीं देने का गंभीर आरोप लगाया है। वर्ता उस समय चाईबासा के उपायुक्त के पद पर थीं। प्रदीप यादव ने कहा कि राजबाला वर्मा पर गंभीर आरोप होने के बाद भी नियम विरूद्ध प्रोन्नति दी गई और सीएस जैसे प्रमुख पद पर बैठाया गया। 
 
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने भी मुख्य सचिव पर चारा घोटाले में संलिप्त होने का आरोप लगाया है। उन्होंने सरकार से मुख्य सचिव को अविलंब हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से की जायेगी। राज्य सरकार मुख्य सचिव को हटाये नहीं तो उनकी पार्टी सडक से लेकर सदन तक आंदोलन करेगी।
इधर, झारखंड का बजट सत्र 17 जनवरी से शुरू हो रहा है। सत्र में विपक्ष इसे प्रमुख मुद्दा बनायेगा। शीतकालीन सत्र की तरह इस सत्र के भी पूरी तरह धुल जाने के आसार हैं। विपक्ष की राजबाला वर्मा को हटाने की मांग पर पहले ही दिन सरकार की जबरदस्त घेराबंदी करने की योजना है।
 
गौरतलब है कि सीबीआइ ने 1998 में राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर अखंड बिहार में तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। सीबीआइ ने उस पत्र में राज्य सरकार से वर्मा को दंडित करने की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की थी। तब से करीब 30 बार वर्मा को नोटिस भेजा गया । लेकिन उन्हसी का भी जवाब नहीं दिया । सीबीआइ के रिमाइंडर का जवाब नहीं देना वर्मा के लिये अब असहज स्थिति पैदा कर रहा है। वह न केवल विपक्ष के निशाने पर हैं,बल्कि &npan >मंत्री सरयू राय ने भी इस पर आपत्ति जतायी है।
 
राय के पत्र के आलोक में ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने कार्मिक विभाग को निर्देश दिया था। दरअसल चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे के कोषागार से अवैध निकासी का मामला दर्ज कराने के पूर्व वर्मा चाईबासा की उपायुक्त थीं। उनके कार्यकाल में भी कोषागार से अवैध निकासी की गयी थी। लेकिन वर्मा ने गलत ढग से की गयी निकासियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। यही वजह है कि उन पर कर्तव्य पालन में लापरवाही बरतने का आरोप है।
 
जानकारों कहना है कि राजबाला वर्मा को जवाब देने का अंतिम मौका दिया जा रहा है। अगर वह अपना पक्ष नहीं रखती है, तो सरकार अंतिम निर्णय लेने को बाध्य हो जायेगी। जवाब नहीं देने या संतोषजनक जवाब न देने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू हो सकती है। सीबीआई ने चारा घोटाले के चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्ता के मिस कंडक्ट और लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना है। सीबीआई ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट और केस फाइंडिंग देते हुए कहा था कि इन पर माइनर पनीशमेंट के लिए विभागीय कार्यवाही चलाएं। सीबीआई के इस निर्देश के बाद राज्य सरकार उनसे जवाब मांग रही है। 
 
चारा घोटाले के जिस मामले में राजबाला वर्मा को नोटिस भेजकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है उसी मामले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सजा सुनायी जा चुकी है। यादव उस मामले में बेल पर हैं जबकि देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में भी वे दोषी करार दिये गये हैं। हालांकि उनकी सजा का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। 
 
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