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कट्टरपंथी भगवा ताकतें अल्पसंख्यकों-दलितों को बना रही जातिवादी हिंसा का शिकार-मायावती
By Deshwani | Publish Date: 6/1/2018 1:48:41 PM
कट्टरपंथी भगवा ताकतें अल्पसंख्यकों-दलितों को बना रही जातिवादी हिंसा का शिकार-मायावती

लखनऊ (हि.स.)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भीमा-कोरेगांव प्रकरण पर संसद में चर्चा के लिए तैयार नहीं होने को लेकर केन्द्र की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस जातीय हिंसा के सम्बन्ध में राज्यसभा में चर्चा कराने की बसपा की मांग नहीं मानना यह साबित करता है कि राज्य व केन्द्र दोनों ही भाजपा सरकारों का रवैया एक जैसा ही घृणित जातिवादी है। मायावती ने कहा कि कट्टरपंथी भगवा हिन्दुत्ववादी शक्तियां सरकारी शह व संरक्षण के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों व दलितों को भी अपनी जातिवादी हिंसा का शिकार बना रही हैं। इस प्रकार इन घटनाओं के माध्यम से सरकार की जनविरोधी गम्भीर कमियों और घोर विफलताओं से लोगां का ध्यान बांटने का प्रयास किया जा रहा है।
 
बसपा सुप्रीमो ने शनिवार को अपने बयान में कहा कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार जहां दलितों को संरक्षण देने में विफल रही, वहीं नरेन्द्र मोदी सरकार इस सम्बन्ध में जिम्मेदारी तय करने व उस सम्बन्ध में देश को आश्वस्त करने में विफल रही है। यह सब दलितों व पिछड़ों एवं अक्लियतों के प्रति भाजपा व नरेन्द्र मोदी सरकार की हीन, घृणित, जातिवादी व साम्प्रदायिक मानसिकता व कार्यप्रणाली को बेनकाब करता है। 
 
गुजरात की जनता ने पहले ही दे दिया भाजपा को जवाब
उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगां ने तो इस सम्बन्ध में काफी संगठित होकर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब वहां चुनाव में दे ही दिया है और अब महाराष्ट्र में भी जनमानस काफी तंग आकर उठ खड़ा हुआ है। यह सिलसिला अब रुकने वाला नहीं लगता है क्योंकि भाजपा की सरकारों में इन वर्गों पर अत्याचार, पक्षपात, अन्याय व जातीय हिंसा का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
 
जातीय संघर्ष कराने का हुआ प्रयास 
उन्होंने कहा कि पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव स्थित युद्ध स्मारक में उपेक्षित वर्गों की एक सभा को सम्बोधित करते हुये बाबा साहेब डॉ. भीमराव आम्बेडकर ने 1 जनवरी सन् 1927 को कहा था कि ब्रिटिशकाल में खासकर बम्बई सेना में महार समाज को नौकरी मिलने पर उन्होंने अपनी बहादुरी के जौहर बार-बार दिखाये हैं। जनरल मैलकम ने 1816 में अपने पत्र में लिखा है कि महार सैनिक काफी अनुशासित होकर बहुत बहादुरी से लड़ते हैं, जबकि पेशवा राज में महार समाज के लोगों का जीवन काफी अमानवीय व जानवरों से बदतर था। मायावती ने कहा कि विजय स्तम्भ को अपने समाज व स्वाभिमान का प्रतीक मानकर वहां पर संगठित होना भी महाराष्ट्र की भाजपा सरकार व जातिवादी तत्वों को अच्छा नहीं लगा और उन लोगां ने जातीय संघर्ष कराने का प्रयास किया। यह अति-निन्दनीय है। 
 
दोषियों को बचाने की हो रही कोशिश
उन्होंने कहा कि इसके अलावा घोर साम्प्रदायिक व जातिवादी दो व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस एफ.आई.आर. होने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं होना इस बात को प्रमाणित करता है कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार दोषियों को बचाने व मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही है। मायावती ने कहा कि इससे मामला सुलझने वाला नहीं है क्योंकि दलित समाज के लोग अपने आपको सरकारी पक्षपात व अन्याय का शिकार मान रहे हैं और उनमें गहरा असंतोष व्याप्त है। गुलाम मानसिकता वाले बीजेपी एण्ड कम्पनी के सांसदों की भूमिका के बारे में भी खासकर दलितों में व्यापक आक्रोश है। आज उनकी आवाज संसद में ज़ोरदार व प्रभावी ढंग से उठाने वाला कोई नहीं है जिससे स्थिति में तनाव व्याप्त है।
 
 
भाजपा नेताओं पर क्यों नहीं होती कार्रवाई?
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जहां तक भड़काऊ भाषण के आरोप में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दलितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का मामला है तो इस सम्बंध में बसपा का कहना है कि ऐसा घोर पक्षपातपूर्ण रवैया क्यों? क्या पूरा देश व दुनिया यह नहीं देख रही है कि भाजपा के नेता व यहां तक कि संविधान की शपथ लेने वाले पार्टी के मंत्री भी किस प्रकार धड़ल्ले से उग्र, भड़काऊ, हिंसक व देशद्रोही स्तर की गंदी बयानबाजी लगातार करते रहते हैं। मायावती ने कहा कि इसके बावजूद उनके खिलाफ भाजपा सरकार द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है बल्कि उन्हें हर प्रकार का सरकारी संरक्षण दिया जाता है। वास्तव में अगर सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ सही कानूनी कार्रवाई करने लगे तो शासद जेलों मे जगह कम पड़ जायेगी।
 
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