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‘पहले आप’ की तहजीब अपनाकर देशवासी रह सकते हैं खुश : राष्ट्रपति
By Deshwani | Publish Date: 15/12/2017 4:56:38 PM
‘पहले आप’ की तहजीब अपनाकर देशवासी रह सकते हैं खुश : राष्ट्रपति

लखनऊ, (हि.स.)। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में सभी पदक विजेता विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई देते हुए लखनऊ की तारीफ में कसीदे पढ़े। उन्होंने कहा की हमारे देश में लखनऊ की तहजीब की अपनी एक अलग पहचान है। यहां के शिष्टाचार में सबको ‘आप’ कहकर सम्बोधित किया जाता है। इसके पीछे केवल औपचारिकता ही नहीं है, बल्कि यह दूसरे को आदर देने की भावना का परिचायक है। 

राष्ट्रपति ने कहा कि इसी तरह लखनऊ के लोगों में दूसरे को तरजीह देते हुए ‘पहले आप’ कहने की परम्परा रही है। कभी-कभी इसका परिहास भी होता है। लेकिन इसके पीछे भी केवल नफासत ही नहीं, बल्कि धीरज रखने और दूसरे को प्राथमिकता देने की भावना होती है। यह अधीर या आक्रामक होने के बजाय धैर्यवान और संवेदनशील होने की तहजीब है। उन्होंने कहा कि अगर सभी देशवासी, लखनऊ के लोगों की ‘पहले आप’ वाली तहजीब अपना लें, तो बहुत सी आपसी व्यवहार की समस्याएं शायद पैदा ही नहीं होंगी, और लोग अधिक खुश रहेंगे। 

बाबासाहेब आंबेडकर का लखनऊ से गहरा रिश्ता

राष्ट्रपति ने कहा कि इस लखनऊ शहर से बाबासाहेब आंबेडकर का भी एक खास रिश्ता रहा है, जिसके कारण कुछ लोग लखनऊ को बाबासाहेब की ‘स्नेह-भूमि’ भी कहते हैं। बाबासाहेब के लिए गुरु-समान, बोधानन्द और उन्हे दीक्षा प्रदान करने वाले भदंत प्रज्ञानन्द, लखनऊ में ही रहते थे। आज से पंद्रह दिन पहले, भदंत प्रज्ञानन्द का लखनऊ में ही परिनिर्वाण हुआ। आज यहां आने से पहले, मुझे उनकी पुण्यस्थली पर जाकर, उनके सम्मान में सादर-नमन करने का अवसर मिला है। 

समाज और राष्ट्र के निर्माण में अटल का महान योगदान 

राष्ट्रपति ने कहा कि यहां आकर मेरी उन दिनों की यादें ताज़ा हो गई हैं जब मैं राज्य सभा का सदस्य था और इस विश्वविद्यालय की गवर्निंग काउंसिल का सदस्य होने के नाते इसकी प्रगति का जायजा लिया करता था। आज इस विस्तृत ‘विद्यामन्दिर परिसर’ में ऐसा प्रभावशाली इन्फ्रास्ट्रक्चर देखकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस परिसर में ‘आंबेडकर भवन’ और ‘अटल बिहारी वाजपेयी सभागार’ के होने से भारत-रत्न से सम्मानित दो महापुरुषों को नमन करने का अवसर मिला है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊ के लोग संसद में अपना प्रतिनिधि चुन कर भेजते रहे हैं। समाज और राष्ट्र के निर्माण में उनके महान योगदान के लिए पूरा देश उनका आदर करता है। आज संयोग से एक और भारत रत्न को स्मरण करने का अवसर है। भारत को वर्त्तमान स्वरुप प्रदान करने वाले लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आज पुण्य तिथि है। भारत के पहले गृह मंत्री और उप-प्रधान मंत्री के रूप में उन्होंने हमारी शासन व्यवस्था को एक मजबूत आधार प्रदान किया था। एक कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उनकी स्मृति में मेरा सादर नमन है

बाबा साहेब का अध्ययन का वक्त कोलम्बिया यूनिवर्सिटी का स्वर्ण युग

राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि बहुत से विद्यार्थियों को बाबासाहेब आंबेडकर के विद्यार्थी जीवन के विषय में विस्तार से मालूम होगा। उन्होंने परिश्रम और निष्ठा के बल पर एक असाधारण विद्यार्थी के रूप में ख्याति प्राप्त की थी। जिस समय बाबासाहेब अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे थे उसे कई विद्वान उस विश्वविद्यालय का स्वर्ण युग भी कहते हैं। उस ‘स्वर्ण युग’ पर डॉक्टर आंबेडकर ने विद्यार्थी के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर आंबेडकर बहुत कम समय में ही गंभीर और जटिल विषयों पर अपनी थीसिस पूरी कर लिया करते थे, और उनके शोध में गहराई होती थी। भारत की संविधान सभा में अनेक उच्च-कोटि के विद्वान मौजूद थे। ऐसे विद्वानों से भरी हुई सभा में भी बाबासाहेब की चर्चा सबसे अधिक विद्वान सदस्य के रूप में होती थी। शायद इसीलिए उन्हे संविधान सभा की ‘ड्राफ्टिंग कमेटी’ का अध्यक्ष चुना गया था। बाबासाहब जैसी विलक्षण प्रतिभा से जुड़े विश्वविद्यालय के हर छात्र और छात्रा में शिक्षा और नैतिकता के प्रति गहरी निष्ठा होनी चाहिए। 

मेधावी बेटियों का बढ़ाया हौसला

राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में, केवल 13 वर्ष की उम्र में पीएचडी कर रही सुषमा वर्मा, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने वाली नीलू शर्मा के रूप में दो नए उदाहरण मेरी असाधारण बेटियों की सूची में जुड़ गए हैं। मुझे भारत की इन बेटियों पर गर्व है। बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए विशेष अवसर प्रदान करने के लिए मैं इस विश्वविद्यालय की सराहना करता हूं। बाबासाहेब भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं और पुरुषों की समानता के पक्षधर थे। मेरा मानना है कि हम अपनी बेटियों के लिए शिक्षा के जितने अधिक अवसर उपलब्ध कराएंगे उतनी ही तेजी से हमारे देश का विकास होगा। 

समाज और देश का कर्ज़ उतारें छात्र

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारा देश विश्व में अग्रिम पंक्ति के देशों में गिना जा रहा है। लेकिन कई सामाजिक और आर्थिक पैमानों पर आगे बढ़ते हुए, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में भी हमें अपने देश को बहुत आगे ले जाना है। जब देश विकसित होगा तो प्रत्येक व्यक्ति को भी विकास के बेहतर अवसर मिलेंगे। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि आप गहराई के साथ सोचेंगे तो यह समझ पाएंगे कि आपके शिक्षा प्राप्त करने में आपके माता-पिता, परिवार-जन, शुभ-चिंतकों के अलावा समाज के अन्य लोगों और देश ने भी काफी योगदान दिया है। अब यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप समाज और देश के प्रति अपने कर्ज़ उतारें। 

छात्र-छात्राओं को खुद का काम करने के लिए किया प्रेरित

राष्ट्रपति ने छात्र-छात्राओं से कहा कि सबसे पहले आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़े होना आपके लिए जरूरी है। आपके सामने दो विकल्प हैं। आप नौकरी कर सकते हैं, और अगर आप चाहें तो स्वतंत्र रूप से अपना काम भी शुरू कर सकते हैं। नौकरी में प्रायः आपकी सीमाएं तय कर दी जाती हैं। आप सभी प्रतिभावान हैं। आप सभी में सफलता की अपार संभावना है। इसलिए यदि आप अपना खुद का काम करते हैं तो आप सफलता की ऐसी ऊंचाइयां छू सकते हैं जिसे अंग्रेज़ी में कहते हैं, ‘‘स्काई इज़ द लिमिट।’’ अपना काम करने की संस्कृति को बढ़ावा देने में भी आपको ही पहल करनी होगी। इसके लिए सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।

ब्रायन ऐक्टन का दिया उदाहरण

राष्ट्रपति ने इस मौके पर छात्र-छात्राओं की हौसलाअफजायी करते हुए कहा कि व्हाट्सअप के को-फाउन्डर ब्रायन ऐक्टन नौकरी ढूंढने में लगे हुए थे। उन्हे फेसबुक और ट्विटर दोनों ही कंपनियों ने नौकरी नहीं दी थी। नौकरी न मिलने पर वे हतोत्साहित नहीं हुए। उन्होंने अपनी कम्पनी बनाई। उनकी इस कंपनी व्हाट्सअप को इतनी अधिक सफलता मिली कि फेसबुक ने उस कम्पनी को हासिल करने के लिए 19 बिलियन डालर यानि कि लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये ब्रायन ऐक्टन को दिये। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि आप नौकरी चुनें या स्वरोजगार, आपको नैतिकता और सिद्धांतों के रास्ते पर चलते हुए ही वास्तविक सफलता मिलेगी। नैतिकता के विषय में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। 

विश्वविद्यालय के सामाजिक सरोकार को सराहा

राष्ट्रपति ने कहा कि खुशी की बात है कि इस विश्वविद्यालय ने सामाजिक सरोकार के कई कदम उठाए है। इकलौती बेटियों तथा कुछ गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बच्चों को दाखिले में अलग से आरक्षण देना, विश्वविद्यालय के आस-पास के गांवों को गोद लेना और वहां शिक्षा और विकास के लिए काम करना तथा किसानों और जमीन से जुड़े लोगों को विश्वविद्यालय के इनोवेटर्स क्लब से जोड़ना, ये सभी सराहनीय कार्य हैं। ऐसे सामाजिक प्रयासों में छात्रों की भागीदारी से उनमे संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी का एहसास भी होता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह एक नया विश्वविद्यालय है। अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की इमेज प्रैक्टिस को अभी से अपनाकर, आप सब 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने में अधिक समर्थ हो पाएंगे। ऐसी एक इमेज प्रैक्टिस एलुमनी एशोसिएसन बनाना और उन्हे विश्वविद्यालय के विकास से जोड़े रखना। विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव और सफलता प्राप्त कर रहे यहां के पूर्व छात्र इस विश्वविद्यालय और इन विद्यार्थियों के लिए अपना योगदान देने के लिए जरूर उत्साहित रहेंगे। 

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